दहेज एक सामाजिक हिंसा विषय पर जन जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)।  मिशन शक्ति-4.0 के अन्तर्गत महिला कल्याण विभाग के प्रोबेशन, जिला बाल संरक्षण इकाई, वन स्टाप सेन्टर, महिला शक्ति केन्द्र, चाइण्ड हेल्प लाइन एवं डी0पी0एम0आई0 पैरामेडिकल संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में दहेज एक सामाजिक हिंसा विषय पर जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता जय प्रकाश तिवारी संरक्षण अधिकारी जिला बाल सरंक्षण इकाई के द्वारा दहेज प्रतिषेध अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुये बताया गया कि दहेज के रूप में कोई सम्पति, मूल्यवान वस्तु या प्रतिभूति जो विवाह में एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को दिया जाये या देने का वादा किया जाये वो सब दहेज है। जैसे एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष से नगद, गहने, कपड़े आदि मांगना, मूल्यवान वस्तुये जैसे-टी0वी0, फ्रिज, मोटर साईकिल, स्कूटर, कार आदि की मांग किया जाना। सम्पत्ति, प्लाट, मकान की मांग किया जाना। आमतौर पर वधू के माता पिता या रिश्तेदार या उनकी ओर से कोई और व्यक्ति के द्वारा दहेज दिया जाना, दहेज विवाह से पूर्व, विवाह के समय, या कई साल बाद तक भी दहेज दिये जाने का प्रचलन है। वह सब दहेज की श्रेणी में परिभाषित किया जाता है। दहेज की मांग की शिकायत कौन, कब, और कहां कर सकता है के सवाल पूछे जाने पर श्री तिवारी द्वारा बताया गया कि दहेज की मांग से पीडित महिला स्वयं उसके माता-पिता या अन्य कोई रिश्तेदार या अन्य कोई स्वयं सेवी संस्था शिकायत कर सकती है तथा मा0 न्यायालय द्वारा भी स्वतः संज्ञान लिया जा सकता है। या किसी पुलिस रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय संज्ञान ले सकता है। शिकायत पुलिस थाने या 112 में काल कर के किया जा सकता है। दहेज मांग की रिपोर्ट लिखवाने या मुकदमा चलाने हेतु कोई समय सीमा निर्धारित नही की गयी है। दहेज लेना व देना या दहेज के लिये उकसाना ये सभी दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के अंतर्गत कानूनी अपराध के श्रेणी मे आता है। जिसके लिये 05 साल तक की कैद अथवा 15000/-रू0 या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दहेज की मांग पर 06 माह से 02 साल तक की जेल तथा 10000/-रू0 जुर्माने का भी प्राविधान हैं। इसके साथ ही दहेज नही देने व लेने के लियेे शपथ भी दिलवाया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनिल कुमार सोनकर जिला परिवीक्षा अधिकारी, डा0 राजीव गुप्ता डी0पी0एम0आई0 पैरामेडिकल संस्थान, नीतू भारती प्रबन्धक, मीनू जायसवाल मनोवैज्ञानिक, रेनू साहनी केसवर्कर, रिचा सिंह वन स्टाप सेन्टर, मंशा सिंह जिला समन्यवक महिला शक्ति केन्द्र, राजेश यादव सोशल वर्कर, सुल्तान सिद्धीकी आकड़ा विश्लेषक, जैनेन्द्र पाण्डेय व विश्राम कुमार ओ0आ0डब्लू0 जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाइण्ड हेल्प लाइन की विशाखा गौड़, सीमा सिंह, एवं कु0 रीमा कुशवाहा केशवर्कर तथा अन्य कार्मिक उपस्थित रहे।

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