
(शशांक मिश्र की रिपोर्ट)
सलेमपुर/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) सरकार द्वारा चलाई जा रही विद्यालय युग्मन (स्कूल मर्जर) योजना अब ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के अधिकार को चुनौती देती नजर आ रही है। सलेमपुर विकास खंड अंतर्गत दर्जनों प्राथमिक विद्यालयों को एकीकृत करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। अधिकारियों द्वारा इसके आदेश भी जारी कर दिए गए हैं, लेकिन इस योजना को लेकर ग्रामीणों और अभिभावकों में गहरा आक्रोश है।
इस युग्मन प्रक्रिया में कई विद्यालयों पर ताला लटक जाएगा। यह बदलाव सक्षम वर्ग को शायद ज्यादा प्रभावित न करे, लेकिन गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।
RTE अधिनियम की अनदेखी
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) स्पष्ट करता है कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए एक किलोमीटर के दायरे में विद्यालय की उपलब्धता अनिवार्य है। लेकिन युग्मन की नई योजना इस प्रावधान की अनदेखी करती नजर आ रही है। उदाहरण के तौर पर, एक प्राथमिक विद्यालय का युग्मन सोनबरसा स्थित स्कूल से किया जा रहा है, जो लगभग दो किलोमीटर दूर है और बीच में व्यस्त सलेमपुर-देवरिया मुख्य मार्ग पड़ता है। इस मार्ग पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं, जिससे छोटे बच्चों के लिए विद्यालय पहुंचना जोखिम भरा हो सकता है।
ग्रामीणों की पीड़ा
देवपार निवासी राम आशीष यादव कहते हैं, “मेरी बेटी रानी अब शायद पढ़ नहीं पाएगी। रोज़ी-रोटी के संघर्ष के बीच इतने दूर स्कूल भेजना संभव नहीं है।”
वहीं, सुनील मिश्रा, जिनकी बेटी ईसीता कक्षा 1 की छात्रा है, कहते हैं, “हम उसे सोनबरसा स्थित विद्यालय नहीं भेज सकते। इतनी दूरी और सुरक्षा दोनों ही बड़ी चिंता हैं।”
विद्यालय बंद तो शिक्षा बंद
सिसवा दीक्षित प्राथमिक विद्यालय को सिसवा पाण्डेय विद्यालय में मर्ज किया जा रहा है। दोनों की दूरी लगभग दो किलोमीटर है। यहाँ पढ़ने वाली छात्रा कृति, पुत्री छट्ठू गौण, बताती है, “पापा ने कहा है अगर स्कूल दूसरे गांव गया तो मेरी पढ़ाई बंद हो जाएगी।”
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