नैमिषारण्य/सीतापुर(राष्ट्र की परम्परा)
पितृ पक्ष की अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालु आज चक्रतीर्थ और राजघाट गोमती के तट पर जुटेंगे । तीर्थ पर श्रद्धालु पूर्वजों को पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे । इस दिन ही पितरों की विदाई भी की जाएगी । शनिवार का दिन होने से इसका महत्व बढ़ जाता है ।
अश्विन मास की अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा जाता है । इस दिन पितृ पक्ष का समापन होता है । पंडित विवेक शास्त्री ने बताया कि अश्विन मास के पंद्रह दिन और भाद्रपद मास की पूर्णिमा को मिलाकर कुल सोलह दिनों का पितृ पक्ष होता है । जिन तिथियों में पूर्वजों की मृत्यु होती है उसी दिन उनका श्रद्धा तर्पण किया जाता है । जिन पूर्वजों की अंतिम तिथि याद नहीं होती है उनका श्राद्ध तर्पण अमावस्या के दिन किया जाता है । यदि कोई व्यक्ति संपूर्ण तिथियों पर श्राद्ध न कर सके तो वह मात्र अमावस्या तिथि पर सभी का श्राद्ध कर सकता है । पितरों को प्रसन्न करने के लिए यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है । इस दिन सबसे पहले प्रातः काल नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करके ईश्वर भजन के बाद अपने पूर्वजों का स्मरण कर प्रणाम करें और उनके गुणों को याद करें। श्राद्ध में 16 तिथियों के अनुसार 16 पूरियां अथवा रोटियां उनके निमित्त निकालकर अपने सभी पितरों के नाम लेकर तर्पण अवश्य करें। उन्होंने कहा कि अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराएं और उन्हीं से पूर्वजों के लिए तर्पण कराएं और श्राद्ध करें ।
ऐसे करें पूर्वजों का श्राद्ध :-
पितरों का तर्पण करने के लिए तिल, कुशा, पुष्प और सुंगधित जल अर्पित करें । पिंडदान चावल या जौ के पिंडदान करके गरीबों को भोजन और वस्त्र आदि दान करें । पूर्वजों के नाम पर कुछ दान जरूर करें।
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