बिहार के सरकारी विद्यालयों के प्रति अभिभावकों की अवधारणाएं – मृत्युंजय कुमार

पटना (राष्ट्र की परम्परा)। बिहार के सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दिन प्रतिदिन बदल रही है और यह संभव हो रहा है राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत सभी शिक्षकों के अथक प्रयास से, लेकिन इन सब के बावजूद संबंधित विद्यालयों के पोषक क्षेत्र के अभिभावकों या यूं कहें कि राज्य के सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक अभी भी शिक्षकों पर ही दोषारोपण करते हैं कि सरकारी विद्यालयों में बेहतर पढ़ाई नही होती। इस संबंध में मृत्युंजय कुमार,शिक्षक,नवसृजित प्राथमिक विद्यालय खुटौना यादव टोला,पताही, पूर्वी चंपारण-सह-प्रदेश मीडिया संयोजक,टीचर्स ऑफ बिहार ने बताया कि अभिभावकों की अवधारणाएं बिल्कुल गलत है। हमारे सभी शिक्षक शत् प्रतिशत बेहतर शैक्षिक माहौल तैयार करने के लिए रोज नए नए नवाचारी गतिविधि के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं साथ ही उनके बेहतर भविष्य निर्माण को लेकर दृढसंकल्पित है। बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शैक्षिक बेहतरी के लिए राज्य के तमाम शिक्षक अपने अपने विद्यालयों में रोज विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं जिसका असर अब तमाम विद्यालयों में देखने को मिल रहा है। शिक्षक मृत्युंजय कुमार ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में केवल शिक्षकों की ही भूमिका नही होती है बल्कि अभिभावकों की भी समान जिम्मेदारियां बनती हैं,अभिभावक केवल बच्चों को विद्यालय भेजकर अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकते। जबतक शिक्षक और अभिभावक की समान सहभागिता बच्चों पर न पड़े तब तक बेहतर शिक्षा की परिकल्पना बेमानी सी लगती है। शिक्षक अपने अपने विद्यालयों में बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर अपने कर्तव्य का सही ढंग से निर्वहन कर ही रहे हैं, लेकिन अभिभावकों की भूमिका अब तक संतोषजनक नज़र नहीं आ रहा है। इसलिए अभिभावक खुद भी जिम्मेवार बने और बच्चों के विद्यालय आने से पूर्व एवं विद्यालय से जाने के बाद उनपर विशेष ध्यान देते हुए अपने दायित्व का निर्वहन खुद भी ईमानदारी पूर्वक करें। अगर राज्य के वैसे तमाम अभिभावक जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, अपने दायित्व का निर्वहन एक साल तक (एक शैक्षणिक वर्ष) लगातार बच्चों के बेहतरी के लिए करके देखें तथा अवलोकन करें, वे खुद समझ जायेंगे कि शिक्षकों पर दोषारोपण करना तो आसान है पर अपने आप पर नहीं। बिहार के शिक्षक लगातार सरकारी स्कूलों में बेहतर शैक्षिक माहौल तैयार करते आ रहे हैं और आगे भी बच्चों की बेहतर भविष्य निर्माण को लेकर सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा बदलने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। बस जरुरत है अभिभावकों को अपना नजरिया बदलने की और शिक्षकों की तरह ही अपने बच्चों की पढ़ाई एवं बेहतर शिक्षा के लिए अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने की।

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