भारतीय राजनीति और समाज चिंतन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम सादगी, सेवा और विचारधारा की दृढ़ता का प्रतीक है। वे केवल राजनेता नहीं थे, बल्कि ऐसे विचारक थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपरा को आधार बनाकर एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत किया। उनका यह दर्शन आज भी समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है। 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गाँव में जन्मे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपने बाल्यकाल में माता-पिता का साया खो दिया। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और अनुशासन, परिश्रम और सेवा को जीवन का मूल मंत्र बनाया। बाल्यकाल की कठिनाइयों ने उन्हें आत्मनिर्भर और दृढ़संकल्प बनाया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ से जुड़कर समाज सेवा में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनका जीवन हमेशा सादगी और नैतिकता से प्रेरित रहा। जीवन की कठिनाइयों के बावजूद उनका विश्वास और कर्म हमें यह दिखाते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, विचार और कर्म से समाज और राष्ट्र के लिए योगदान दिया जा सकता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने स्पष्ट किया कि मानव केवल भौतिक और आर्थिक प्राणी नहीं है। उनका एकात्म मानववाद व्यक्ति और समाज, भौतिक और मानसिक, आर्थिक और सांस्कृतिक, स्वतंत्रता और उत्तरदायित्व के बीच संतुलन पर आधारित है। वे कहते थे कि व्यक्ति केवल भौतिक लाभ के लिए नहीं बल्कि समाज और संस्कृति के कल्याण के लिए सक्रिय होता है। राष्ट्र केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और साझा मूल्यों का जीवंत स्वरूप है। उनके अनुसार विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि नैतिकता, सेवा और समरसता भी है। उन्होंने स्वयं कहा, “हमारे यहाँ सत्ता का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति का कल्याण सुनिश्चित करना होना चाहिए।” उनके इस विचार से स्पष्ट होता है कि समाज और राष्ट्र का वास्तविक विकास तभी संभव है जब व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास संतुलित रूप से हो। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राजनीति को केवल सत्ता प्राप्ति का साधन नहीं माना। उनके अनुसार, राजनीति का असली उद्देश्य जनकल्याण और सामाजिक न्याय होना चाहिए। उन्होंने कार्यकर्ताओं को यह भी सिखाया कि राजनीति में सिद्धांत और नैतिकता का पालन अनिवार्य है। वे मानते थे कि शासन और नीति केवल नियम और कानून तक सीमित नहीं होने चाहिए; मानवीय मूल्य और नैतिकता का पालन भी आवश्यक है। उन्होंने कहा, “राजनीति का असली उद्देश्य समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाना है, न कि केवल सत्ता का साधन बनना।” उनके इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि नीति और प्रशासन केवल औपचारिक रूप से नहीं बल्कि मूल्यों और नैतिकता के आधार पर किए जाने चाहिए। आज का युग उपभोक्तावाद, असमानता और पर्यावरण संकट से जूझ रहा है। ऐसे समय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद और अधिक प्रासंगिक हो गया है। उनकी शिक्षा नीति यह बताती है कि शिक्षा केवल रोजगार तक सीमित न हो, बल्कि नैतिकता और जिम्मेदारी भी शिक्षा का हिस्सा हो। उन्होंने कहा, “व्यक्ति और समाज का विकास तभी संभव है जब हम समग्र दृष्टि अपनाएँ – भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन के साथ।” उनके अनुसार आर्थिक विकास समाज की मूलभूत जरूरतों से जुड़ा होना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण को विकास का अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन संदेश सरल लेकिन गहरा है। सादगी, अनुशासन, सेवा और नैतिकता उनके जीवन के मूल आधार थे। उन्होंने यह साबित किया कि व्यक्ति की महानता उसके पद या दौलत से नहीं, बल्कि विचार, कर्म और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी से मापी जाती है। वे कहते थे, “सच्चा विकास वह है जो समाज और राष्ट्र दोनों के लिए लाभकारी हो।” उनकी सोच और जीवनशैली आज भी युवाओं और समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरक हैं। यह संदेश हमें याद दिलाता है कि राष्ट्र और समाज केवल प्रशासन और कानून से नहीं, बल्कि संस्कृति और मूल्य आधारित जीवन से विकसित होते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार और उनका एकात्म मानववाद आज भी भारतीय समाज और राष्ट्र के लिए प्रासंगिक हैं। उनके दर्शन से यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति और समाज, अर्थ और संस्कृति, भौतिक और मानसिक विकास एक-दूसरे से अलग नहीं बल्कि पूरक हैं। उनकी जयंती पर यह संकल्प लेना आवश्यक है कि हम उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज को संतुलन, समरसता और समग्र विकास की दिशा में आगे बढ़ाएँ। जैसा उन्होंने स्वयं कहा, “हमारा देश तभी सशक्त होगा जब हम समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान, शिक्षा और अवसर देंगे।”
इंस्पेक्टर सुमन तिर्की ने खत्म की अपनी जीवन यात्रा, पुलिस विभाग में शोक की लहर…
बिहार चुनाव में बीजेपी का बड़ा दांव: 48 प्रत्याशियों की पहली सूची तय, कई पुराने…
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)।सदर तहसील क्षेत्र के जंगल कौड़िया विकासखंड की ग्रामसभा मीरपुर में पांच…
शिमला (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। आरटीओ शिमला कार्यालय में वाहनों के पंजीकरण में बड़े घोटाले…
खंड शिक्षा अधिकारी की बड़ी कार्रवाई — धुरियापार में बिना मान्यता चल रहे स्कूल पर…
पुलिस पर उठे सवाल भाटपार रानी/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा):भाटपार रानी थाना क्षेत्र में सोमवार देर…