February 5, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

संस्कृति हमारी भारत भारती है

आज ज़रूरत आन पड़ी है भारत को,
अपनी प्राचीन संस्कृति को पहचाने,
प्राचीन भारतीय परम्परांओं को हम,
आओ अपने सांस्कृतिक हित में जाने।

प्रथम पूज्य अकेले श्री गणेश हैं,
दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल होते हैं,
देव, पितृ व ऋषि तीन ऋण होते हैं,
ब्रह्मा,विष्णु,महेश त्रिदेव कहे जाते हैं।

सत्युग, त्रेता, द्वापर और कलियुग,
यही चार युग भारत में माने जाते हैं,
द्वारिका, बद्री, जगन्नाथ, रामेश्वर,
यह चार धाम महातीर्थ कहलाते हैं।

शारदा द्वारिका, ज्योतिष बद्रीधाम
गोवर्धन जगनाथपुरी श्रृंगेरी चारपीठ,
ऋगवेद, अथर्व, यजुर्वेद, सामवेद
चार वेद महाग्रंथ भी माने जाते हैं।

बृह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ और
संन्यास, चार आश्रम माने जाते हैं,
मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार, यह
चारो अंत:करण में निहित होते हैं।

ग़ो माता के दूध, दही, घी, गोबर
ये पाँचो पञ्च गव्य कहलाते हैं,
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
यह पाँचो पञ्च तत्त्व कहलाते हैं।

वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग,
पूर्व मीमांसा व दक्षिण मीमांसा,
यह छ: दर्शन भारत के प्राचीन
काल से दर्शन भी जाने जाते हैं।

विश्वामित्र, जमदाग्नि, भारद्वाज,
गौतम, अत्रि, वशिष्ठ और कश्यप
यह सातो सप्तऋषि गण कहलाते हैं,
रात्रि आकाश में प्राय: देखे जाते हैं।

अयोध्या, मथुरा, काशी, हरिद्वार,
काँची,अवंतिका,द्वारिका सप्तपुरी,
यम,नियम,आसन,प्राणायाम,
प्रत्याहार,
धारणा,ध्यान व समाधि अष्टांग योग हैं।

आठ लक्ष्मी, नौ दुर्गा, दस दिशायें,
ग्यारह अवतार मुख्य, बारह मास,
बारह राशियाँ, बारह ज्योतिर्लिंग,
पूरे भारत में प्रसिद्ध माने जाते हैं।

पंद्रह तिथियाँ, सोलह संस्कार,
अठारह पुराण, अनेकों स्मृतियाँ,
आदित्य भारत की प्राचीन धरोहर हैं,
हमारी ये संस्कृतियाँ भारत भारती हैं।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’