विपक्ष ने घोषित किया पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार - राष्ट्र की परम्परा
August 19, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

विपक्ष ने घोषित किया पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार

नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा) आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव अब बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को घोषणा की कि विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया गया है। उनका सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रत्याशी सी.पी. राधाकृष्णन से होगा।

घोषणा के दौरान खड़गे ने कहा कि यह चुनाव केवल एक संवैधानिक पद के लिए नहीं, बल्कि वैचारिक लड़ाई है। विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। उन्होंने कहा, “रेड्डी साहब भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक हैं। उनका जीवन और करियर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

न्यायपालिका से राजनीति तक

बी. सुदर्शन रेड्डी ने लंबे समय तक न्यायपालिका में अपनी सेवाएँ दी हैं। वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे, इसके बाद गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने और फिर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसलों में गरीब और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा की।

खड़गे ने कहा कि, “वे एक बेहद साधारण और गरीब परिवार से आए। उनके कई फैसले पढ़ने पर पता चलता है कि उन्होंने हमेशा संविधान, मौलिक अधिकारों और आम आदमी के हक की रक्षा की। ऐसे व्यक्ति का उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ा होना लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है।”

मुकाबला रोमांचक होने के आसार

एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन अनुभवी राजनेता हैं और भाजपा के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वहीं विपक्ष ने न्यायपालिका की पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीदवार को सामने रखकर चुनावी जंग को और रोचक बना दिया है। राजनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि समर्थन जुटाने की इस जंग में किसका पलड़ा भारी पड़ेगा।

संभावना जताई जा रही है कि संसद के दोनों सदनों के सदस्य मतदान में हिस्सा लेंगे और परिणाम न केवल राजनीतिक समीकरण बल्कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच वैचारिक संघर्ष की दिशा भी तय करेगा।