July 14, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

ऑनलाइन व्यापार छोटे व्यापारियों को 10 साल में पूरी तरह विनष्ट कर देगा

व्यापारी इसका विरोध करते हैं

सुखपुरा ,बलिया(राष्ट्र की परम्परा) भारत एक विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है। सबसे ज्यादा युवा भारत में है जिनका प्रतिशत 65% है ।तब यह स्पष्ट है कि नौजवानों को रोजगार और नौकरी चाहिए। हमारी सरकार की नीति ऐसी होनी चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार और नौकरी मिल सके ।विश्व की सबसे बड़ी ऑनलाइन कुछ कंपनियां जो भारत में व्यापार कर रही है जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजॉन छोटे-छोटे बाजारों में अपना वेयरहाउस खोल कर बैठी हुई है । जो घर-घर सामान पहुंचा रही है। ऐसे में गांव-गांव में जो छोटे व्यापारी हैं जिनके ऊपर देश के बड़े-बड़े उद्योग और व्यापार निर्भर हैं। साथ ही साथ यह दुकानदार करोड़ों लोगों को रोजगार देते हैं और अपना पेट पालते हैं,ये छोटे व्यापारी खत्म हो जाएंगे और बड़े-बड़े बिजनेस साम्राज्य वाली कंपनियां इनका जगह ले लेंगे ।इस बात को गांव में बैठा छोटा व्यापारी भली बात समझ रहा है क्योंकि शादी ब्याह के सीजन में भी दुकान पर बैठकर लोग मच्छी मार रहे हैं ।जब लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा उनके हाथ में क्रय शक्ति नहीं आएगी तो बाजार में क्यों जाएंगे? साथ ही साथ बहुत सस्ता माल विदेशी कंपनियां घर-घर तक पहुंचा देगी तो लोग बाजार में क्यों आएंगे? सरकार का उद्देश्य अपने देश के लोगों का भला होना चाहिए। वर्षों से अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल के नेतृत्व में ऑनलाइन व्यापार का विरोध कर रही है। सरकार मजदूर, किसान से बात कर ले रही है लेकिन कभी केंद्र सरकार ने व्यापार मंडलों से बैठक करके उनके विचार को नहीं जाना जो हम सबके लिए बहुत दुखद है। छोटे-छोटे व्यापारी अपना व्यापार करके इस तरह छोटे-छोटे व्यापारी अपना बिजनेस का उत्थान और विकास करके लखपति और करोड़पति बनते थे और अपना बड़ा व्यवसाय तैयार कर लेते थे। जब उसका व्यापार ही नष्ट हो जाएगा। कर्ज के जाल में वह फंस चुका है। पूंजी खत्म हो जाएगी तो आगे क्या बढ़ पाएगा।
अब भारत में स्वदेशी ,स्वराज और स्वावलंबन की बात नहीं होती है।जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी इस प्रकार के नारे आम थे।
आने वाले दिनों में व्यापार मंडल पूरे जनपद में बैठक करके ऑनलाइन व्यापार के विरोध में रणनीति बनाएगी ताकि छोटे-छोटे व्यापारियों के अस्तित्व को बचाया जा सके।
व्यापारियों को भी अब कमर कस लेना चाहिए कि सड़क पर उतरे बिना उसका अस्तित्व बचाने वाला नहीं है।व्यापारी संघर्ष के लिए तैयार रहे।