November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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जेठ मास की अमावस्या को सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर पति के दीर्घायु की कामना की

ग्रामीण क्षेत्रों में अब नहीं है बचें है दूर-दराज तक वटवृक्ष के पेड़

बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)ब्लॉक नवाबगंज के चौगोई बिलासपुर क्षेत्र में हर वर्ष की भांति सुहागिन महिलाओं ने पति के लंबी आयु के लिए महिलाओं ने किया बट वृक्ष का पूजा अर्चना किया, आप को बता दें कि नवाबगंज क्षेत्र की वट वृक्ष पूजन कर रही महिला से बात करने पर किरन कुमारी शर्मा ने बताया की वट वृक्ष को ग्रामीण क्षेत्रों में बरगद पेड़ के नाम से भी जाना जाता है। जिसकी की पुजा अर्चना सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण अमावस्या को शनि भगवान की उत्पत्ति भी हुई थी और इस के उपलक्ष्य में शनि जयंती भी मनाई जाती है। इसी तरह इस वर्ष भी हर वर्ष की भात महिलाओं ने अपने पति के लिए लंबी उम्र की कामना करती हैं । बट वृक्ष का पूजा बताया जा रहा है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा वट यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति और परिवार को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और पति की अकाल मृत्यु का भय टल जाता है।प्राचीन कथाओं की मानें तो इस दिन माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस ले आई थीं. इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।पुजन कर रही शांति देवी शर्मा ने बताया कि पूजन के बाद बरगद की गोदा और चना खाकर पानी को पी कर व्रत को पूर्ण किया जाता है। वट वृक्ष पूजन में अनीता शर्मा ने कहा कि पति देव के उम्र कामना हेतु वट वृक्ष का पूजा करके सृष्टि के रचयिता भगवान श्री हरि से प्रार्थना करके पति के लंबी उम्र की कामना की जाती है। लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में वट वृक्षों की कमी हो गई जिससे महिलाओं को काफी दूर क्षेत्र में जाकर के वटवृक्ष की पूजा अर्चना करनी पड़ती है।