November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

बच्चों को बीमारियों से बचाता है पोषक आहार

👇पोषण माह पर विशेष👇

देवरिया, ( राष्ट्र की परम्परा) 22 सितंबर 2022…बच्चों में कम उम्र में ही कई तरह की जटिल बीमारियां देखने को मिलती हैं। कई मामलों में इनका कारण बच्चों में पोषक तत्वों की कमी होती है। बच्चे खाने के मामले में बुहत नखरे वाले होते हैं। वहीं, मां-बाप भी बच्चों की बात मान कर उन्हें उनकी पसंद का ही खाना देते हैं। लेकिन, ऐसा करना माता-पिता की सबसे बड़ी गलती होती है। जन्म से लेकर छह वर्ष तक के बच्चों में पोषक तत्वों की कमी एक बड़ी समस्या है। ज्यादातर बच्चों में आयरन, आयोडीन, विटामिन और कैल्शियम की कमी पाई जाती है, जिनके माता-पिता को अपने पाल्यों की थाली को दुरुस्त करने की जरूरत है। जब से बच्चा ठोस आहार लेना शुरू करता है, तभी से अभिभावकों को बच्चे के पोषक तत्वों पर ध्यान देना चाहिए। यह कहना है महर्षि देवरहवा बाबा मेडिकल से सम्बन्ध बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.रामसकल यादव का।

👉जन्म से लेकर एक हजार दिन बच्चों को कराये स्तनपान

डॉ यादव का कहना है कि बच्चे के जन्म से लेकर सम्पूर्ण विकास में पोषक तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों को जन्म से लेकर एक हजार दिन तक स्तनपान कराना चाहिए। जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराएं और छह माह तक सिर्फ स्तनपान करवाना है। छह माह बाद भी पूरक आहार के साथ स्तनपान जारी रखनाहै। पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार के आभाव में बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित होता है इसके साथ-साथ मानसिक एवं सामाजिक विकास भी ठीक तरह से नही हो पाता है। बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से पोषक आहार देना चाहिए। जब बच्चा छह माह का हो जाए तो उसे मां के दूध के साथसाथ पूरक आहार देना भी शुरू कर दें । पोषक आहार बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है। डॉ. यादव ने बताया बच्चों के लिए माँ का दूध अमृत समान होता है जो रोग प्रतिरोधक बढ़ाता है और बीमारियों से बचाता है। स्तनपान, शिशु के लिए सुरक्षित पोषण सुनिश्चित करता है तथा यह उसके संपूर्ण विकास में भी मददगार है। पोषित आहार की सबसे ज्यादा जरूरत शिशुओं को होती है जिसका मुख्य कारण है यह है कि यह समय उनके शारीरिक वृद्धि और उनके विकास का समय है। प्रसव के बाद 30 मिनट के भीतर स्तनपान कराना चाहिए तथा पहला दूध त्यागना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। बच्चों को विकास के दौरान प्रोटीन, कैल्शियम, स्वस्थ वसा, आयरन, विटामिन डी, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ये सभी पोषक तत्व शारीरिक और मानसिक विकास के साथसाथ शरीर की लंबाई को बढ़ाने में भी मदद करते हैं।

👉ऐसे दें पूरक आहार

पोषण पुनर्वास केंद्र की डायटीशियन अनामिका मिश्रा का कहना है एक से तीन वर्ष के बच्चों के आहार में 75 ग्राम अनाज, 25 ग्राम फलियां, 100 ग्राम सब्जियां, 75 ग्राम फल, 400 मिली दूध और 25 ग्राम वसा आदि होना चहिए। चार से छह वर्ष के बच्चों के लिए 120 ग्राम अनाज, 45 ग्राम फलियां, 100 ग्राम सब्जियां, 75 ग्राम फल, 400 मिली दूध और 25 ग्राम वसा भोजन में होना होना चाहिए । उन्होंने बताया कि बच्चों में सर्वोत्तम विकास और उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उचित संतुलित आहार जरुरी है। इस अवधि के दौरान शरीर में हड्डियों का विकास होता है, इसलिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि दुग्ध उत्पाद (दूध, पनीर, दही) और पालक, ब्रोकली का सेवन करना बेहद जरूरी हैं, क्योंकि इन पदार्थों में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता हैं।

👉बनने लगी दीक्षा की सेहत

सदर ब्लॉक के छेरियहवा गांव निवासी कंचन की बेटी दीक्षा (4) का जब जन्म के बाद चार वर्ष के होने के बाद आंगनबड़ी केद्र में पंजीकरण हुआ तो उसका वजन 11.200 किलो था । कंचन बताती हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रानी की सलाह पर दीक्षा को चिकित्सक को दिखाया और घर में बना पोषक आहार युक्त भोजन देने की सलाह दी । बच्ची को उन्होंने दलिया, दाल, खिचड़ी, फल आदि देना शुरू किया। दो माह में दीक्षा का वजन आठ सौ ग्राम बढ़ गया। अब वह अति कुपोषण की श्रेणी से बाहर आ चुकी है। अभी भी उसे पौष्टिक आहार दिया जा रहा है ताकि वह सुपोषित हो जाए ।

संवादाता देवरिया…