रेलवे का नया फैसला: लंबी दूरी की ट्रेनों में अब बच्चों के लिए मिलेगी दूध की सुविधा, पेंट्री कारों में बनेगा ‘मिल्क बैंक’

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)अब बिहार समेत देशभर के यात्रियों को लंबी दूरी की ट्रेन यात्रा के दौरान छोटे बच्चों के लिए दूध की किल्लत से जूझना नहीं पड़ेगा। रेलवे ने यात्रियों की इस महत्वपूर्ण जरूरत को ध्यान में रखते हुए एक नई पहल शुरू की है। पेंट्री कार वाली लंबी दूरी की ट्रेनों में अब ‘मिल्क बैंक’ स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य छोटे बच्चों के पोषण को सुनिश्चित करना है ताकि सफर के दौरान माता-पिता को किसी तरह की परेशानी न हो।

पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) दीप्तिमय दत्ता के अनुसार, अब लंबी दूरी की सभी पेंट्री कार युक्त ट्रेनों में दूध की उपलब्धता अनिवार्य कर दी गई है। इससे उन यात्रियों को विशेष राहत मिलेगी, जो अपने छोटे बच्चों के साथ एक से दो दिन की ट्रेन यात्रा करते हैं।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस फैसले के पीछे यात्रियों से प्राप्त फीडबैक और बार-बार आ रही शिकायतें रही हैं। कई बार देखा गया कि ट्रेन यात्रा के दौरान छोटे बच्चों के लिए दूध उपलब्ध नहीं होने के कारण माता-पिता को काफी परेशानी होती है। खासकर गर्मी के मौसम में या रात के समय जब स्टेशनों पर सुविधा नहीं मिल पाती, तब यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

रेलवे ने इस नई पहल को ‘मिल्क बैंक प्रोजेक्ट’ नाम दिया है। शुरुआत में इसे कुछ प्रमुख लंबी दूरी की ट्रेनों में लागू किया गया है। इन ट्रेनों में दूध की पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था की जाएगी ताकि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत यात्रियों को मुहैया कराई जा सके।

रेलवे बोर्ड के निर्देश पर आईआरसीटीसी ने इस योजना को लागू करने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत पेंट्री कार स्टाफ को दूध स्टॉक करने और उसकी समय-समय पर जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। यात्रियों को आवश्यकता पड़ने पर पेंट्री कार में जाकर या ट्रेन स्टाफ से संपर्क कर दूध प्राप्त करने की सुविधा होगी।

रेलवे प्रशासन का कहना है कि प्रारंभिक चरण में इस योजना को कुछ चुनिंदा ट्रेनों में लागू किया गया है और यात्रियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर इसे देशभर की अन्य लंबी दूरी की ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा।

यात्रियों के लिए यह एक बड़ी राहत मानी जा रही है, खासकर उन परिवारों के लिए जो नवजात या छोटे बच्चों के साथ यात्रा करते हैं। रेलवे की यह पहल न सिर्फ मानवता के दृष्टिकोण से सराहनीय है, बल्कि यात्रियों की मूलभूत जरूरतों को समझते हुए किया गया एक संवेदनशील निर्णय भी है।

Editor CP pandey

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