भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अरब सागर में नौसैनिक अभ्यास, विश्लेषकों की बढ़ी चिंता - राष्ट्र की परम्परा
August 18, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अरब सागर में नौसैनिक अभ्यास, विश्लेषकों की बढ़ी चिंता

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद उत्पन्न तनावपूर्ण माहौल में, भारत और पाकिस्तान की नौसेनाएँ 11-12 अगस्त को अरब सागर में अलग-अलग फायरिंग अभ्यास करने जा रही हैं। दोनों देशों के अभ्यास भौगोलिक रूप से करीब-करीब एक ही समय पर होंगे, जिससे रक्षा विश्लेषकों में चिंता का माहौल है।

जारी नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) के अनुसार, भारतीय नौसेना गुजरात के पोरबंदर और ओखा तटों के पास यह अभ्यास करेगी, जबकि पाकिस्तानी नौसेना ने इन्हीं तारीखों के लिए अपने जलक्षेत्र में फायरिंग ज़ोन घोषित किया है। दोनों अभ्यासों के बीच की दूरी लगभग 60 समुद्री मील बताई जा रही है। रक्षा अधिकारियों का कहना है कि ऐसे अभ्यास नियमित होते हैं, लेकिन इस बार का समय और नज़दीकी, हालिया घटनाक्रम को देखते हुए, संवेदनशील है।

पृष्ठभूमि में पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा पर डाली गई। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत थल, वायु और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों और उनसे जुड़े रक्षा प्रतिष्ठानों पर सटीक हमले किए।

सूत्रों के मुताबिक, इस अभियान में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन क्षमताओं को निष्क्रिय कर दिया, कई रक्षा प्रणालियाँ नष्ट कीं और एक अवाक्स (AWACS) विमान को मार गिराया। साथ ही, छह पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को भी गिराने का दावा किया गया।

नाज़ुक दौर में समानांतर नौसैनिक गतिविधि
हालांकि दोनों नौसेनाओं ने अपने-अपने अभ्यास को मानक परिचालन प्रशिक्षण का हिस्सा बताया है, लेकिन सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया शत्रुता के बाद इतने करीब और समान तारीखों पर अभ्यास होना एक संदेश भी हो सकता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि किसी भी तरह की गलतफहमी या आकस्मिक टकराव से तनाव और बढ़ सकता है।

कूटनीतिक संकेत और क्षेत्रीय असर
विश्लेषकों के अनुसार, अरब सागर में इस तरह की समानांतर सैन्य गतिविधियाँ न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों की नाज़ुक स्थिति को उजागर करती हैं, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा समीकरणों पर भी असर डाल सकती हैं। ऐसे में दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे अभ्यास के दौरान उच्चतम स्तर की संचार और सतर्कता बनाए रखें, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से बचा जा सके।