February 7, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर नागरी काव्यगोष्ठी का किया गया आयोजन


देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
मंगलवार को नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया में विश्व हिंदी दिवस एवं नागरी काव्यगोष्ठी का अयोजन हुआ। जिसमें कहा गया कि यदि भाषा को अपनी अस्मिता कहा जाए तो कोई गलत नही होगा। यदि हम हिंदी की बात करें तो आज आठ करोड़ लोगों की भाषा (अंग्रेज़ी) पूरे विश्व पर हावी है और अपने ही देश में हिंदी विनिमय की भाषा तक नही बन पाई। ऐसा इसीलिए हो गया कि अंग्रेजों ने अपनी भाषा को अपनी अस्मिता में तब्दील कर लिया और उसे भाषायी विनिमय, विज्ञान, तकनीकी,शोध और रोजमर्रा के प्रयोग की भाषा बनाया है। हम उक्त बातें वाचस्पति द्विवेदी ने नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा आयोजित विश्व हिंदी दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। आगे उन्होंने कहा कि हमें हिन्दी बोल चाल के संख्या बल को बढ़ाना पड़ेगा। यह याद रखना होगा कि यदि हमारी भाषा चली गयी तो संस्कृति भी चली जायेगी। हमे स्वयं भी अन्य भाषाओं से सीखने की तत्परता दिखानी चाहिए और अपनी भाषा हिंदी के लिए जगह बनानी होगी,ताकि इसकी स्वीकार्यता बढ़ सके तभी हिंदी वैश्विक जगत में स्थापित हो सकेगी।
विशिष्ट वक्ता सुशील कुमार तिवारी, सहायक प्रो0 राजकीय महिला महाविद्यालय, देवरिया ने अपने उद्दबोधन में कहा कि यह गम्भीर चिंता का विषय हैं। आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद भी हिंदी राज भाषा नही बन पाई। हमारे देश में हिंदी को लेकर आज भी परस्पर विरोधी विचार है। यही कारण है कि अंग्रेजी मजबूत बनी हुई हैं। हिंदी दिवस मना लेने या तालिया बटोर लेने से हिंदी का विकास नही होगा। इसके लिए हिंदी को रोजगार की भाषा बनानी पड़ेगी । विनिमय की भाषा बनाना पड़ेगा। आज विश्व में जहाँ कही भी हिंदी अस्तित्व मे है वह इस देश के अनपढ़ मजदूर और किसानों के प्रयोग के बल पर है और यहां निरन्तर उसका अनादर करते जा रहे हैं। हमे इन मजदूरों और किसानों को सम्मान करना होगा तभी हिंदी आगे जा सकती है।
सभा के सदस्य डाक्टर दिवाकर प्रसाद तिवारी ने अतिथि जन का स्वागत करते हुए कहा कि वाचस्पति द्विवेदी बड़े समर्थ भाषाविद हैं। इनका हिंदी ,संस्कृत, भोजपुरी भाषा पर असाधारण अधिकार है।इसी दॄष्टि से यह अपने पद से ऊपर हो जाते हैं साहित्य और समाज के जिस कोने को लोग नही देख पाते द्विवेदी की दृष्टि से ही देख लेती है। आगे सुशील तिवारी के स्वागत में डॉ0 तिवारी ने कहा कि सुशील बहुत अच्छे कवि और साहित्यकार हैं।इतनी ठंड में आकर आप लोगों ने हिंदी के प्रति अपनी निष्ठा को प्रदर्शित किया हैं।
दूसरे सत्र में आयोजित कवि गोष्ठी प्रसिद्ध गीतकार धर्मदेव सिंह आतुर की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुई।सर्वप्रथम दयाशंकर कुशवाहा ने वाणी वन्दना प्रस्तुत किया। तत्पश्चात चराग सलेमपुरी ने हर लम्हा तुफानो से टकराता हूँ चराग हुन रोशनी लुटाता हूँ पढ़कर वाहवाही लूटी गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए भीम प्रसाद प्रजापति ने जिस गली में गिरकर उठा है अभी उस गली का शिकायत न करना कभी। आगे नित्यानन्द यादव आनंद नाही सुझल गोड़वारी आ सिंहासन बबुआ छिंगरी मरले भइल विहान बबुआ गीत के द्वारा वर्तमान जाड़े भी भयंकरता को शब्द देने का प्रयास किया। फिर गोपाल तिवारी ने हिंदी को प्रशस्ति में एक खिल रही हिंदी ऐसी दुल्हन नई नवेली पढ़ी। तत्पश्चात ने मां क्यो ऐसी हैं जिसे कोई न बहा कैसी पढ़कर मां की ममता की ओर ध्यान आकर्षित किया ।
चर्चित गीतकार सौदागर सिंह ने हिंदी तो माथे की विन्दी आर्यभाषा का श्रृंगार पढ़कर हिंदी को उकेरा।कवि गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए आचार्य प्रमोद मणि त्रिपाठी ने अपनी रचना में, मैं खड़ा हूँ ऐसे बाजार में,जैसे लगता हैं सारे खिलौने मेरे पढ़कर तालिया बटोरी। आगे कौशल किशोर मणि आग लगाकर मेरे घर को देख रहा हैं चोरी चोरी चिंगारी को मेरे घर मे फेक रहा हैं पढ़कर वाहवाही लूटी।कवि गोष्ठी में संचालन कर रहे प्रसिद्ध गीतकार सरोज कुमार पांडेय ने जय हो ,जीवन हो,गति लय हो, ममता के आंचल में पय हो पढ़कर गोष्ठी को उचांई दी।गोष्ठी में छेदी प्रसाद गुप्त विवश, पार्वती देवी,रमेश त्रिपाठी इंद्र कुमार दीक्षित आचार्य परमेश्वर जोशी ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा कि हिंदी निरन्तर आगे बढ़ रही हैं ।इनकी प्रगति रुक नही सकती बाजार और विदेशो में गए भारतीय हिंदी को आगे ले जा रहे हैं ।हमें चहिये की भारत भी अन्य भाषाओ को साथ लेकर हिंदी को आगे ले जाने की जरूरत हैं अध्यक्ष महोदय ने सफल आयोजन के लिए मुख्य अतिथि वचस्पति द्विवेदी, सुशील तिवारी के साथ सरोज कुमार पांडेय, इंद्र कुमार दीक्षित और डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव को बधाई दी। सम्पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन सभा के संयुक्त मंत्री डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर अनिल कुमार त्रिपाठी, बृद्धिचंद्र विश्वकर्मा,श्वेतांक करन त्रिपाठी, बृजेश कुमार पांडेय,भृगुदेव मिश्रा, श्याम सुंदर भगत, श्रीमती दुर्गा पांडेय, संजय राव, रिपसुदन मणि, रमेशचन्द्र त्रिपाठी, गोपाल सिंह रामू, ऋषिकेश मिश्रा, डॉक्टर अजय मणि, दिनेश कुमार त्रिपाठी, हिमांशु सिंह, बृजेश पांडेय अधिवक्ता आदि उपस्थित रहे।