December 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर वृद्धाश्रम में लगा वृहद स्वास्थ्य शिविर

शिविर में 36 महिलाओ एवं 44 पुरुषो के स्वास्थ्य का परीक्षण कर किया गया उपचार

बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)
अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर शनिवार को नागरौर स्थित वृद्धाश्रम में विशेष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में एलोपैथिक, यूनानी,आयुर्वेदिक, होम्योपैथी विभाग के चिकित्सकों ने 80 वृद्धजनो की सेहत की जांच कर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई स्वास्थ्य शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची सदर विधायक अनुपमा जायसवाल ने वृद्धजनो को शॉल और फल का वितरण किया।वृद्धाश्रम में वृद्धजन दिवस पर हुए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनुपमा जायसवाल ने कहा कि वृद्धजनों का सम्मान हर दिन, हर पल हमारे मन में होना चाहिए। उनके प्रति मन में छिपे इस सम्मान को व्यक्त करने के लिए और बुजुर्गों के प्रति चिंतन की आवश्यकता के लिए औपचारिक तौर पर एक दिन भी निश्चित किया गया है। इसलिए हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व में वृद्ध व प्रौढ़ के साथ होने वाले अन्याय,उपेक्षा और दुर्व्यवहार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से इस दिन को चिंहित किया गया है। बचपन से ही हमें घर में शिक्षा दी जाती है कि हमें अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए।वृद्धजन हमारे घर की नींव होते हैं। बुजुर्गों का आशीर्वाद बहुत भाग्य वालों को मिलता है इसलिए सभी को अपने से बड़ों और वरिष्ठजनों का सम्मान करना चाहिए।उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० राजेश कुमार ने कहा कि वृद्धावस्था में व्यक्ति को अपने परिवार के साथ ही सारे विश्व को अपने परिवार के रूप में मानना चाहिए। इससे विश्व एकता का मार्गदर्शन,मानवाधिकारों के संरक्षण,वसुधैव कुटुम्बकम् के विचारों, सेवाभावी कार्यों, योग,शिक्षा तथा जीवन जीने की कला आदि को बल मिलता है एनसीडी के नोडल डॉ० अनुराग वर्मा ने कहा कि विश्व में बुजुर्गों का परम स्थान है लेकिन तेजी से बदलते पारिवारिक तथा सामाजिक परिवेश में उनका स्थान लगातार नीचे गिरता जा रहा है। विश्व भर में बढ़ रही घोर प्रतिस्पर्धा से नैतिक तथा पारिवारिक एकता के मूल्यों का पतन होता जा रहा है। बुजुर्गों पर इसका प्रभाव ज्यादा है। डॉ० पी० तिवारी ने कहा कि सामान्यतः ऐसा माना जाता है कि वृद्धावस्था में व्यक्ति की कार्यक्षमता कम हो जाती है और वह किसी काम का नहीं रहता। वृद्ध व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक श्रम वाले कार्य न सौंपे जाने के पीछे शायद यही वजह है। उन्होने कहा कि वृद्धावस्था तो उम्र का वह दौर होता है जिस तक आते-आते व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी का सार अपने पास संजोकर रख चुका होता है। यह तो खुशी और संतुष्टि का दुर्लभ दौर है। वृद्धावस्था लंबी प्रतीक्षा के बाद संतोष का मीठा फल चखने का दौर है।डीएचआईओ बृजेश सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 14 दिसम्बर 1990 में सदस्य राष्ट्रों की सहमति से 1 अक्टूबर को प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाने के लिए निर्णय लिया।इस महत्वपूर्ण दिवस में विश्व भर में वृद्धजनों से संबंधित समस्याओं के समाधान खोजने पर विचार-विमर्श होता है।साथ ही उनके ज्ञान एवं अनुभव का अधिक से अधिक लाभ समाज हित में लेने के लिए योजनायें बनायी जाती है। इस मौके पर चित्तौरा सीएचसी अधीक्षक कुंवर रितेश,एनसीडी क्लीनिक के डॉ० पी० तिवारी, मेंटल हेल्थ कार्यक्रम के डॉ० विजित जायसवाल, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी अशोक कुमार पाण्डेय,होमियोपैथिक चिकित्साधिकारी डॉ० यूसुफ अली सिद्दीकी,डीपीएम सरजू खान,एफएलसी विवेक श्रीवास्तव एनसीडी क्लीनिक के डॉ० रियाजुल हक, पुनीत शर्मा, लैब टेक्नीशियन संतोष सिंह, बृज प्रकाश और मेंटल हेल्थ टीम में राज कुमार महतो, सीमा,मुकेश हंस, अजय, वृद्धाश्रम प्रबंधक दिलीप द्विवेदी आदि मौजूद रहे।