
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
संतविनोवा महाविद्यालय देवरिया में गांधी जयंती के अवसर पर झंडारोहण, साफ सफाई अभियान के बाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे प्राचार्य प्रो अर्जुन मिश्र सहित महाविद्यालय के शिक्षकों,कर्मचारियों और छात्र छात्राओं ने झाड़ू लगा कर परिसर की साफ-सफाई की। संगोष्ठी के पूर्व महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर अपने संबोधन मे प्रो अर्जुन मिश्र ने कहा गांधी एक व्यक्ति के रूप में मर सकते हैं लेकिन एक विचार और दर्शन के रूप में अमर है। गांधी चिंतन में भारतीय संस्कृति के ऐसे गहन तत्व है जिससे भारत का वास्तविक स्वरूप उदघाटित होता है। भारत ही नहीं पूरे विश्व के समक्ष जो चुनौतियां है उसका समाधान गांधी दर्शन में निहित है। पूरी दुनिया में शांति, सद्भावना, भाईचारा, और सतत विकास का अमोघ अस्त्र है अहिंसा। अहिंसा हिंसा का उल्टा मात्र नहीं है। गांधीजी कोरे आदर्शवादी दार्शनिक नहीं थे। वे खेतों में कीटनाशक के प्रयोग की अनुमति देते हैं, दर्द तड़पते हुए हैं बछड़े को जहर की सुई लगाने की अनुमति देते हैं, सीमा पर शत्रु देश के आक्रमण के समय प्रतिकार की अनुमति देते हैं। उनका मानना था कि अहिंसा कायरों नहीं बलवान का अस्त्र है।अहिंसा कोई नया विचार नहीं था। विभिन्न धर्मों में इसका उल्लेख है। हिंसा के मूल में भय है। हिंसा कमजोरी की अभिव्यक्ति है। अहिंसा के लिए आत्मबल और निर्भयता दोनों आवश्यक है। गांधी इससे सहमत नहीं थे कि अहिंसा धीमी गति से चलने वाली प्रक्रिया है। अहिंसा के अनुयायी में दुख सहन करने की शक्ति आ जाती है। यह दुख सहन करने की अवधारणा ही गांधीवाद का मूल तत्व है! सत्य और अहिंसा एक दूसरे से अलग नहीं है। अहिंसा का प्रयोग जिस प्रकार व्यक्तियों के बीच होता है उसी प्रकार राष्ट्रों के बीच भी हो सकता है।संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो शैलेंद्र राव ने किया। संगोष्ठी में डा अशोक सिंह, डा विवेक मिश्र, डा अभिनव चौबे, डा सुधांशु शुक्ला, श्रीप्रकाश मिश्र, आदि उपस्थित थे।
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