
भगवान भास्कर सूर्य उत्तरायण में,
माघ मकरगति का प्रारम्भ हो रहा, तीर्थराज प्रयाग, सारे तीर्थ एकत्र,
पर माँ गंगा का जल मैला हो रहा।
करोड़ों रुपये व्यय किये जा चुके,
और करोड़ों व्यय किये जा रहे हैं,
पर क्या हम अब भी सोते ही रहेंगे,
देशवासियों हम जाग्रत कब होंगे।
माँ गंगा को स्वच्छ करना होगा,
पवित्र जल स्वच्छ रखना होगा,
बयानबाज़ी व लेखों से ही नहीं,
बल्कि स्वयं ये प्रण करना होगा।
हम गंगा, यमुना, गोमती आदि
सभी नदियों को मैला नहीं करेंगे,
और न किसी को मैला करने देंगे,
मृत शरीर, पूजन सामग्री व तरह
तरह का प्रदूषित कचरा इत्यादि
भी नदियों में प्रवाहित नहीं करेंगे।
हमें हमारी अगली पीढ़ी को साफ सुथरा पर्यावरण विरासत में देना है अपने वर्तमान को अनुशासित और पर्यावरण को भी नियंत्रित करना है।
तभी मकर संक्रान्ति, लोहड़ी,
बिहू व भोगी और पोंगल का
मनाना सफल, पुण्यदायक
और सत्य में सार्थक होगा।
माघ मकर गति जब रवि होई।
तीरथराज आव सब कोई॥ मकर राशि में सूर्य का देखो हुआ प्रवेश,
संक्रांति पर्व का तभी आया समय विशेष,
उत्तर में खिचड़ी मने दक्षिण में पोंगल,
लोहड़ी पंजाब में असम बिहू का मंगल,
मीठे गुड में तिल मिले नभ में उड़े पतंग,
लोहड़ी की ताप ने दिल में भरी उमंग।
आदित्य सर्वे भवंतु सुखिन:,
च सर्वे संतु निरामया:,
सर्वे भद्राणि पश्यंति,
माकश्चिद् दुख भाग्भवेत्।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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