डीएम ने संत कबीर नगर के 297 वर्ग किलोमीटर के औद्योगिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए शासन को भेजा प्रस्ताव
डीएम ने जनपद के औद्योगिक, पर्यटन, सांस्कृतिक एवं इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट की असीम संभावनाओं से शासन को कराया अवगत
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने जनपद के औद्योगिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए जनपद के सर्वांगीण, समग्र एवं सतत विकास हेतु कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (केबी-एसएडीए) के गठन हेतु शासन को भेजा प्रस्ताव है।
जनपद के सर्वांगीण विकास, इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट, सौंदर्यीकरण, स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने शासन को लिखे पत्र में बताया है कि जनपद संत कबीर नगर अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। जनपद का नाम सुप्रसिद्ध भारतीय रहस्यवादी और कवि, संत कबीर दास जी के नाम पर रखा गया हैl जो अपने भक्ति और दार्शनिक दोहों के लिए व्यापक रूप से सम्मानित हैं और जो भगवान की एकता और सभी धर्मों की एकता पर जोर देते हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था के रूप में जनपद में 3 तहसील, 9 ब्लॉक तथा 8 थाने हैं। जनपदीय आधारभूत सरंचना के रूप में वर्तमान में संत कबीर धाम, जिला स्टेडियम, नर्सिंग कॉलेज, कपड़ा मंडी, बेहतर रेल-रोड कनेक्टिविटी सहित अन्य धार्मिक पर्यटन स्थल हैं तथा सेफ सिटी प्लान, केन्द्रीय विद्यालय, मेडिकल कॉलेज, टेक्सटाईल ट्रैडिंग हब, लिंक एक्स्प्रेस वे- राम जानकी मार्ग एवं नया बस अड्डा जैसे प्रोजेक्ट निकट भविष्य में प्रस्तावित हैं।
शासन को भेजे प्रस्ताव में जिलाधिकारी ने महाकवि संत कबीर दास जी के ऐतिहासिक जुड़ाव को उल्लिखित करते हुए कहा है कि जनपद में मगहर क्षेत्र अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। मगहर वह स्थान है जहां प्रसिद्ध मध्ययुगीन संत और कवि, संत कबीर दास जी ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बिताया था और अंततः उनका निधन वर्ष 1517 में हुआ। जनपद के औद्योगिक महत्व का उल्लेख करते हुए कहा है कि जनपद मुख्यालय खलीलाबाद कस्बा अपने उत्कृष्ट होजरी उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है। इसको कपड़ा मंडी (वस्त्र-परिधान केंद्र) के रूप में जाना जाता है। बाजार का वार्षिक कारोबार सैकड़ों करोड़ रुपये है। होजरी को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है।
खलीलाबाद व्यापार और वाणिज्य के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। वहीं बखिरा पक्षी अभयारण्य पक्षी उत्साही और पक्षी विज्ञानियों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य हैl क्योंकि यह स्थान कई प्रवासी और स्थानीय पक्षी प्रजातियों के लिए एक बेहतर निवास स्थान प्रदान करता है। मेहंदावल तहसील का बखिरा क्षेत्र पीतल के बर्तन उद्योग का एक प्राचीन स्थान है।
इसी औद्योगिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए जनपद के कुछ क्षेत्र को विशेष क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और इसके लिए विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण आवश्यक हैl जिसे ‘कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण’ (केबी- एसएडीए) के रूप में जाना जाएगा।
विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एसएडीए) आम तौर पर एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के विकास की देखरेख (विशेषकर आर्थिक विकास में तेजी लाने) और प्रबंधन करने के लिए स्थापित किया जाता है। उत्तर प्रदेश में एसएडीए प्रदेश विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम-1986 के तहत शासित होते हैं। अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुशीनगर, कपिलवस्तु, चित्रकूट तथा शक्तिनगर एसएडीए के रूप में अधिसूचित किए जा चुके हैं। जिलाधिकारी द्वारा भेजे प्रस्ताव के माध्यम से जनपद संत कबीर नगर में पाँचवा एसएडीए प्रस्तावित किया है।
जनपद में एसएडीए की आवश्यकता क्यों है के बाबत जिलाधिकारी ने पत्र में विस्तार से उल्लेख किया है। शहरी आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। वर्तमान में जनपद में भवन संचालन विनियमन (आरबीओ) अधिनियम-1958 लागू है जो केवल विनियमित क्षेत्र में भवन संचालन को विनियमित करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता हैl लेकिन इस अधिनियम के तहत नियोजित विकास कार्य नहीं किए जा सकते हैं। सामान्यतः गोरखपुर और विशेष रूप से गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) का विकास गोरखपुर और संत कबीर नगर की सीमाओं पर किया गया है। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि संत कबीर नगर के कुछ हिस्सों में अनियोजित विकास होगाl इसलिए जनपद के नियोजित विकास के लिए केबी- एसएडीए आवश्यक है। अयोध्या से निकटता के दृष्टिगत संत कबीर नगर अयोध्या और गोरखपुर के मध्य सेतु बन सकता है। अयोध्या-संत कबीर नगर-गोरखपुर-कुशीनगर सर्किट धार्मिक पर्यटन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। यहां बखिरा झील पक्षी अभयारण्य और उसके आसपास इको-पर्यटन और कृषि-पर्यटन को नए पंख देगा। इससे अव्यवस्थित खलीलाबाद कपड़ा बाजार को भी बढ़ावा मिलेगा।
जनपद केबी- एसएडीए के आने से जनपद में होने वाले विकासगत बदलाव को उद्धृत करते हुए जिलाधिकारी ने बताया कि यदि केबी- एसएडीए घोषित हो जाए तो यह गोरखपुर का प्रवेश द्वार बन सकता है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पश्चिमी दिशा में भी नियोजित विकास आ सकता है। अयोध्या-संत कबीर नगर-गोरखपुर-कुशीनगर धार्मिक पर्यटन सर्किट का निर्माण हो सकता है। एसएडीए के माध्यम से एक “इंडस्ट्रियल पार्क” बनाकर न केवल होजरी मैन्यूफैक्चरिंग को संगठित किया जा सकता है बल्कि जनपद में एक “आधुनिक टैक्सटाइल ट्रेडिग हब” भी बनाया जा सकता है। इको-टुरिज़म की दृष्टि से बखिरा के सतत विकास हेतु कुछ बजट को उपरोक्त टाउनशिप में भारित किया जा सकता है।
जिलाधिकारी द्वारा शासन को प्रस्तावित ‘कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण’ में सम्पूर्ण अधिसूचित मगहर-खलीलाबाद विनियमित क्षेत्र, सम्पूर्ण अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र (खलीलाबाद), सम्पूर्ण अधिसूचित नगर पंचायत क्षेत्र (मगहर, मेहंदावल एवं बाघनगर उर्फ बखिरा) तथा 218 राजस्व ग्रामों (बखिरा झील के ज़ोन ऑफ इन्फ्लूअन्स में होने के कारण 22 राजस्व ग्राम तहसील सहजनवां, जनपद गोरखपुर सहित) के सम्पूर्ण क्षेत्रफल को सम्मिलित किया जा रहा है। प्रस्तावित कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का क्षेत्रफल 297 वर्ग किलोमीटर होगा जो जनपद के कुल क्षेत्रफल का 18 प्रतिशत होगा तथा यह क्षेत्र विकास के माध्यम से जनपद की 4 लाख से अधिक जनसंख्या को सीधे प्रभावित करेगा। साथ ही केबी- एसएडीए 1 ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के राज्य के दृष्टिकोण में बड़े पैमाने पर योगदान दे सकता है।
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