मेरी रचना, मेरी कविता
आज के प्रशंसकों और शुभचिंतकों
की सोच में मात्र एक अंतर होता है,
प्रशंसक तो हमारी स्थिति देखता है,
पर शुभचिंतक परिस्थिति देखता है।
इंसान को इंसान समझना आज,
इस जमाने में बस इतना काफ़ी है,
नौकर हैं तो सम्मान उनका भी करो,
जैसे अपनों की इज़्ज़त की जाती है।
ध्यान मत दो कि कौन क्या कहता है,
बस वो करो जो अच्छा और सच्चा है,
ज़िंदगी में अगर कठिनाइयाँ भी हैं
समझो उसमें भी ईश्वर की मर्ज़ी है।
हमारा शान्त और स्थिर मस्तिष्क,
जीवन संघर्ष का सबसे बड़ा अस्त्र है,
साथ में धैर्य एवं साहस मिल जायें,
तो समझ लो हमारे पास ब्रह्मास्त्र है।
यदि हम किसी को अच्छे लगते हैं,
तो हमसे ज़्यादा अच्छाई उसमें है,
क्योंकि अच्छाई, बुराई देखने की
पारखी नज़र हमसे ज़्यादा उसमें है।
इंसान का जीवन एक ऐसी यात्रा है,
हँसकर पूरी कर लें जो पता न लगे,
दुखी होकर जीना तो क्या जीना है,
रोते रोते हँसते रहना भी भला लगे।
मन और मस्तिष्क के अंदर शान्ति है
तो उसका जीना आसान हो जाता है,
ऐसे मानव को उसके चारों ओर क्या
हो रहा, आदित्य पता नही चलता है।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ
शाहजहांपुर(राष्ट्र को परम्परा)खुटार थाना क्षेत्र के गांव लौंहगापुर जंगल में रविवार की सुबह एक दर्दनाक…
देवरिया, (राष्ट्र की परम्परा)। रविवार को भीखमपुर रोड स्थित सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान पार्टी के राष्ट्रीय…
बार-बार दोहराई गई त्रासदी, बाढ़ प्रबंधन क्यों है अधूरा सपना? हरियाणा और उत्तर भारत के…
बघौचघाट,देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) देवरिया के पथरदेवा एवं बघौचघाट क्षेत्र में जितिया पर्व पर महिलाओं ने…
देवरिया, (राष्ट्र की परम्परा)।राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ के पदाधिकारियों की बैठक रविवार प्रदेश संगठन मंत्री…
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की बैठक पत्रकार भवन में हुआ संपन्न सलेमपुर,देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। लोकतंत्र के…