महंगाई दर,स्वास्थ्य और शिक्षा खर्च आवास लागत, शहरीकरण और तकनीकी परिवर्तन बढ़ने से नया वेतन आयोगलागू करना आर्थिक अनिवार्यता बन चुका है- एडवोकेट किशन
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए वेतन आयोग केवल वेतन संशोधन का माध्यम नहीं होते,बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा, जीवन -स्तर, उपभोग क्षमता और मध्यवर्गीय स्थिरता का सबसे बड़ा आधार होते हैं। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग का 10 वर्षीय कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है,और इसके साथ ही देश का ध्यान स्वाभाविक रूप से आठवें केंद्रीय वेतन आयोग पर केंद्रित हो गया है।यह केवल वेतन वृद्धि का सवाल नहीं है, बल्कि यह प्रश्न भी है कि महंगाई, जीवन-यापन की बढ़ती लागत, रियल इनकम में गिरावट और भविष्य की आर्थिक चुनौतियों के बीच सरकार अपने कर्मचारियों को किस तरह का संरचनात्मक संरक्षण देती है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं क़ि भारत में परंपरागत रूप से यह देखा गया है कि किसी भी वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद सरकार उसे लागू करने से पहले तीन से छह महीने तक वित्त मंत्रालय,कार्मिक विभाग और कैबिनेट स्तरपर विचार- विमर्श करती है। इसी कारण यह लगभग तय माना जा रहा है कि आठवां वेतन आयोग जनवरी 2026 से लागू नहीं हो पाएगा।
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साथियों बात अगर हम सातवें वेतन आयोग की समाप्ति और आठवें वेतन आयोग की आवश्यकता को समझने की करें तो,सातवें वेतन आयोग को वर्ष 2016 में लागू किया गया था। तब से लेकर अब तक देश की आर्थिक परिस्थितियों में भारी बदलाव आए हैं। महंगाई दर, स्वास्थ्य और शिक्षा खर्च, आवास लागत,शहरीकरणऔर तकनीकी परिवर्तन इन सभी ने सरकारी कर्मचारियों की वास्तविक आय पर दबाव डाला है।हालाँकि महंगाई भत्ता समय-समय पर बढ़ता रहा, लेकिन वेतन संरचना मूल रूप से वही बनी रही। यही कारण है कि 31 दिसंबर 2025 के बाद नया वेतन आयोग केवल औपचारिकता नहीं बल्कि आर्थिक अनिवार्यता बन चुका है।सरकार द्वारा गठित आठवें केंद्रीय वेतन आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई कर रही हैं। यह नियुक्ति यह संकेत देती है कि आयोग से न्यायपूर्ण, संतुलित और संवैधानिक दृष्टि से सुदृढ़ सिफारिशों की अपेक्षा की जा रही है।आयोग को निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर सिफारिशें देनी हैं वेतन संरचना क़े साथ फिटमेंट फैक्टर विभिन्न प्रकार के भत्ते, रिटायरमेंट लाभ, पेंशन और पारिवारिक पेंशन,ग्रेच्युटी और अन्य सामाजिक सुरक्षा उपाय।सरकार ने आयोग को लगभग 18 महीने का समय दिया है।टर्म्स ऑफ रेफरेंस और रिपोर्ट की संभावित समयसीमा-आठवें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस अक्टूबर 2025 में जारी किए गए हैं। इसके बाद आयोग ने अपना काम औपचारिक रूप से शुरू किया।वर्तमान अनुमानों के अनुसार-(1) आयोग की रिपोर्ट अप्रैल 2027 तक आने की उम्मीद है (2) रिपोर्ट आने के बाद सरकार आमतौर पर 3 से 6 महीने विचार-विमर्श और वित्तीय मूल्यांकन में लगाती है (3) इसका सीधा अर्थ यह है कि जनवरी 2026 में नया वेतन आयोग लागू होना लगभग असंभव है।
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साथियों बात अगर हम आठवां वेतन आयोग कब लागू हो सकता है? इसको समझने की करें तो वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी स्पष्ट कर चुके हैं कि, आठवें केंद्रीय वेतन आयोग को लागू करने की तारीख और फंडिंग पर फैसला बाद में लिया जाएगा,इस बयान का नीतिगत अर्थ यह है कि सरकार फिलहाल कोई पूर्व-निर्धारित तारीख घोषित नहीं करना चाहती, ताकि राजकोषीय संतुलन और राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जा सके।विश्लेषकों की आम राय है कि, 2027 के अंत या 2028 की शुरुआत में आठवां वेतन आयोग लागू हो सकता है।फिटमेंट फैक्टर क्या होता है और इसका महत्व -फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक होता है जिसके माध्यम से पुराने वेतन को नए वेतन ढांचे में बदला जाता है।सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। इसका अर्थ यह था कि,नया मूल वेतन = पुराना मूल वेतन × 2.57 आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, क्योंकि यही कर्मचारियों की सैलरी बढ़ोतरी का आधार बनेगा।
साथियों बात अगर हम निजी वित्तीय अनुसंधान संस्था एम्बिट कैपिटल का अनुमान को समझने की करें तो आठवें वेतन आयोग में कुल मिलाकर 30 से 34 प्रतिशत तक वेतन और पेंशन में वृद्धि हो सकती है। इस वृद्धि की प्रक्रिया यह होगी कि पहले मौजूदा महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाएगा और उसके बाद नए फिटमेंट फैक्टर के आधार पर वेतन संरचना लागू की जाएगी।कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में 50 से 54 प्रतिशत तक वेतन वृद्धि की बात भी सामने आई है, लेकिन अधिकांश अर्थशास्त्री और नीति विशेषज्ञ इस संभावना को कम मानते हैं क्योंकि इतनी बड़ी वृद्धि से केंद्र सरकार के राजकोषीय संतुलन परअत्यधिक दबाव पड़ेगा। यदि व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.8 से 2.1 के बीच रह सकता है। इसका अर्थ यह होगा कि वास्तविक वेतन वृद्धि लगभग 30 से 34 प्रतिशत के दायरे में सीमित रहेगी, जो सरकार और कर्मचारियों दोनों के लिए एक संतुलित समाधान माना जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी कर्मचारी का वर्तमान बेसिक वेतन 18,000 रूपए है और उस पर लगभग 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है, तो कुल प्रभावी वेतन 27,000 रूपए के आसपास होता है। जब इस महंगाई भत्ते को बेसिक में जोड़ दिया जाएगा, तो नया बेसिक 27,000 रूपए माना जाएगा। यदि इस पर 1.9 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया जाता है, तो नया बेसिक वेतन 51,300 रूपए के करीब पहुंच सकता है। यह वृद्धि दिखने में बहुत बड़ी लगती है, लेकिन वास्तव में यह महंगाई भत्ते के समायोजन के बाद की वास्तविक वृद्धि है।
साथियों बात अगर हम आठवें वेतन आयोग का प्रभाव केवल कार्यरत कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पेंशनभोगियों के लिए भी यह अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, इसको समझने की करें तो,पेंशन आमतौर पर अंतिम बेसिक वेतन का 50 प्रतिशत होती है, इसलिए जब बेसिक वेतन में वृद्धि होगी तो पेंशन में भी समानुपातिक बढ़ोतरी होगी। यदि किसी पेंशनभोगी की मौजूदा पेंशन 20,000 रूपए है और महंगाई भत्ते को जोड़कर यह 30,000 के आसपास पहुंच चुकी है, तो नए वेतन ढांचे में 1.9 फिटमेंट फैक्टर लागू होने पर संशोधित पेंशन लगभग 28,500 से 30,000 रूपए के बीच हो सकती है। यह वृद्धि बुजुर्ग पेंशनरों के लिए जीवन- यापन में बड़ी राहत लेकर आएगी।सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि यदि आठवां वेतन आयोग 2028 में लागू होता है तो कर्मचारियों और पेंशनरों को कितना एरियर मिलेगा। यदि यह मान लिया जाए कि आयोग की सिफारिशें जनवरी 2026 से प्रभावी मानी जाएं, लेकिन वास्तविक भुगतान जनवरी 2028 से शुरू हो, तो कुल 24 महीनों का एरियर बनता है। यदि किसी कर्मचारी की मासिक वेतन वृद्धि 15,000 रूपए है,तो दो वर्षों का एरियर 3,60,000रूपए तक हो सकता है। इसी तरह यदि किसी पेंशनभोगी की मासिक पेंशन वृद्धि 6,000 रूपए है, तो उसका एरियर लगभग 1,44,000 रूपए हो सकता है। यह एरियर एकमुश्त दिया जाएगा या किश्तों में, इसका निर्णय सरकार अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार करेगी। यह भी ध्यान देने योग्य है कि आठवें वेतन आयोग के लागू होने से केंद्र सरकार पर लाखों करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। इसका प्रभाव केवल केंद्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राज्यों पर भी अप्रत्यक्ष दबाव आएगा क्योंकि अधिकांश राज्य केंद्र के वेतन आयोग के अनुरूप अपने कर्मचारियों का वेतन संशोधित करते हैं। इसी कारण सरकार अत्यधिक सतर्कता के साथ इस पूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है और किसी भी जल्दबाजी से बचना चाहती है।
अतः अगर हम ऑपरेट पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे क़ि आठवां केंद्रीय वेतन आयोग केवल वेतन बढ़ोतरी का दस्तावेज नहीं होगा, बल्कि यह सरकारी कर्मचारियों की आर्थिक गरिमा,पेंशनभोगियों की सामाजिक सुरक्षा और सरकार की राजकोषीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास होगा। भले ही यह आयोग जनवरी 2026 में लागू न हो पाए, लेकिन 2027 के अंत या 2028 की शुरुआत में इसके लागू होने की प्रबल संभावना है। उस समय तक कर्मचारियों को न केवल संशोधित वेतन मिलेगा, बल्कि बड़े एरियर के रूप में एकमुश्त आर्थिक राहत भी प्राप्त हो सकती है, जो मौजूदा महंगाई और आर्थिक दबावों के बीच उनके लिए एक महत्वपूर्ण सहारा सिद्ध होगी।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425
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