पेट्रोल डीज़ल सौ से ऊपर और
डालर पचासी के रुपये हो रहा है,
कहीं मिट्टी कहीं कोयला तो कहीं
कोयला का खदान बिक रहा है।
माफिया राज में क्या क्या बतायें,
मौरंग बालू का भाव क्या हो रहा है,
कागज गल जाता है पानी की बूँद से
कागज़ के नोटों में इंसान बिक रहा है।
अंग्रेज चला गया भारत से, पर पीछे
अंग्रेजियत और अंग्रेज़ी छोड़ गया,
गुलामी का दौर तो चला गया पर,
लाल फ़ीताशाही का दौर आ गया।
आज इंसानियत हर जगह हर गली
और कहीं कहीं इंसान बिक रहा है,
पानी जो संसार में अस्सी प्रतिशत है,
बोतलों में सैंकड़ों के भाव बिक रहा है।
हमारी आज की पीढ़ियाँ पुरानी व
नयी होश में भला कहाँ रहती हैं,
चाय की दुकान में चाय के साथ ही
नशे का सारा सामान बिक रहा है।
आज की इतनी बढ़ती महंगाई में
इंसान क्या खायें और क्या पहने,
बेटों की पढ़ाई व बेटी के दहेज के
लिए पिता का घर द्वार बिक रहा है।
सीता का जन्म जिस धरती से हुआ,
उस धरती में सीतायें लहूलोहान हैं,
आदित्य श्रीराम के देश में चीनीमिट्टी
के बने श्रीराम, परशुराम बिक रहे हैं।
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