भारत अवसरों, उद्यमिता, स्टार्टअप, नवाचार और यूनिकॉर्न की भूमि के रूप में उभरा – उपराष्ट्रपति

संवाददाता ओ पी श्रीवास्तव।
गौतम बुद्ध नगर(राष्ट्र की परम्परा)

उपराष्ट्रपति जगदीप धनगर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने वास्तव में हमारी शिक्षा के परिदृश्य को बदल दिया है।
वे देश भर के विश्वविद्यालय के कुलपतियों के एक सम्मेलन को नोएडा में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल राज्य के राज्यपाल के रूप में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ से जुड़ा था। इस नीति के विकास के लिए हजारों लोगों के हाथों में कुछ प्रमुख इनपुट को ध्यान में रखा गया था, जो हमारी सभ्यता की भावना, सार और लोकाचार के साथ प्रतिध्वनित होते हैं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा एक महान समानता लाने वाला है और यह ऐसी समानता लाता है जैसा कोई अन्य तंत्र नहीं करता है, शिक्षा असमानताओं को खत्म करती है और लोकतंत्र को जीवन देती है।
उप राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए कहा कि मैं उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री को बधाई देता हूं, जिन्होंने आईटी को उद्योग का दर्जा देकर एक बड़ी पहल की है, जिसका सकारात्मक विकास पर बहुत बड़ा असर पड़ा है। एक और पहलू जिसके लिए यूपी को तेजी से पहचान मिल रही है, वह है स्कूली शिक्षा के स्तर पर, प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही एक पहचान बन रही है। भारत अवसरों, उद्यमिता, स्टार्टअप, नवाचार और यूनिकॉर्न की भूमि के रूप में उभरा है। हर उस पैरामीटर पर जहां विकास और वृद्धि को मापा जा सकता है, हम आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने विश्वविद्यालयों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि हमारे विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने के लिए नहीं हैं, बल्कि डिग्री का बहुत महत्व होना चाहिए। विश्वविद्यालयों को विचारों और कल्पना के अभयारण्य, नवाचार के केंद्र होने चाहिए। उन्हें बड़े बदलाव को गति देनी होगी और यह जिम्मेदारी विशेष रूप से कुलपतियों और सामान्य रूप से शिक्षाविदों की है। असहमति, बहस, संवाद और चर्चा के लिए जगह होनी चाहिए, इसी तरह से दिमाग की कोशिकाएं सक्रिय होती हैं। अभिव्यक्ति वाद विवाद, अनंत वाद, हमारी सभ्यता, हमारे लोकतंत्र के अभिन्न पहलू हैं।
उल्लेखनीय है कि एमिटी विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) द्वारा एआईयू की उत्कृष्टता के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कुलपतियों के सम्मेलन आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, उत्तर प्रदेश सरकार के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा, गौतमबुद्धनगर के सांसद डा महेश शर्मा और भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष डा विनय कुमार पाठक द्वारा किया गया। इस सम्मेलन में 300 से अधिक कुलपति ने उपस्थित रहकर और 200 कुलपतियों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया।
भारत के उपराष्ट्रपति ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि मै आज कुलपतियों और शिक्षाविदों के सामने खड़े होकर एक छात्र की तरह महसूस कर रहा हूं। एमिटी विश्वविद्यालय एक महान संस्थान है, जिसने वैश्विक मान्यता प्राप्त की है। मैं एआईयू को इसकी स्थापना के 99 वर्ष पूरे करने पर हार्दिक बधाई देता हूं। आज का दिन हमारे राष्ट्र के इतिहास का एक महान दिन है क्योंकि आज डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘‘बलिदान दिवस’’ है, जो धरती के बलिदानी सपूतों में से एक थे, जिन्होंने 1952 में जम्मू और कश्मीर राज्य में अभियान के दौरान – एक विधान, एक निशान और एक प्रधान का नारा दिया था। उन्होंने आगे कहा कि हमने बहुत लंबे समय तक अनुच्छेद 370 से पीड़ित रहे, जिसने हमें और जम्मू और कश्मीर राज्य को लहूलुहान कर दिया। अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए ने लोगों को उनके मूल मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों से वंचित किया। इसे 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया और 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती विफल हो गई।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने वास्तव में हमारी शिक्षा को ऊंचाईयों पर पहुंचाया है। उन्होंने उभरते क्षेत्रों में नेतृत्व स्थापित करने के आह्वान के साथ अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु परिवर्तन, जलवायु प्रौद्योगिकी, क्वांटम विज्ञान, डिजिटल नैतिकता जैसे उभरते क्षेत्रों में बेजोड़ उत्कृष्टता के संस्थान स्थापित करें, जब भारत नेतृत्व करेगा, तो अन्य लोग उसका अनुसरण करेंगे। शिक्षा केवल सार्वजनिक भलाई के लिए नहीं है यह हमारी सबसे रणनीतिक राष्ट्रीय संपत्ति है। असंभव विकल्प हमारे चरित्र और ताकत को परिभाषित करते हैं, और हमें आसान रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। आसान रास्ता अपनाने का मतलब है सामान्यता, अप्रासंगिकता और महत्वहीनता। विश्वविद्यालय ऐसे विकल्प पैदा करने के लिए क्रूसिबल हैं क्योंकि वे दिमाग और लोगों को असंभव विकल्पों को अपनाने के लिए साहसी बनाते हैं।
एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा0 अशोक कुमार चौहान ने कहा कि मैं माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने अपने अत्यंत व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई। एमिटी विश्वविद्यालय को भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा आयोजित कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करने का सम्मान मिला है। सम्मेलन से सार्थक परिणाम सामने आएंगे जो भारत में उच्च शिक्षा के भविष्य को बदल देंगे।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष डा0 विनय कुमार पाठक ने कहा कि 2014 के बाद से शिक्षा बजट दोगुना से भी अधिक हो गया है, जो 68,700 करोड़ से बढ़कर 1.48 लाख करोड़ के करीब हो गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में सामने आई है, जो बहु-विषयक शिक्षा, वैश्विक जुड़ाव और भारतीय ज्ञान प्रणाली में निहितता को बढ़ावा देती है। भारत के शिक्षा परिदृश्य में जबरदस्त बदलाव आया है। आज देश में 23 आईआईटी और 20 आईआईएम और लगभग 1,200 विश्वविद्यालयों के साथ, शिक्षा उद्योग ने सिर्फ एक दशक में 60 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। पेटेंट आवेदन दोगुने से भी अधिक हो गए हैं और भारत अनुसंधान और नवाचार के लिए एक महान केंद्र के रूप में उभर रहा है।
उपराष्ट्रपति ने एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘एक पेड़ माँ के नाम’’ पहल के तहत एक पौधा लगाया। उद्घाटन सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा, एआईयू की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।
शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना विषय पर राज्यसभा सदस्य डॉ. सुधांशु त्रिवेदी का विशेष संबोधन भी हुआ।
कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत भर के 500 से अधिक कुलपति भौतिक और आभासी मोड में भाग ले रहे हैं, साथ ही भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी और एआईसीटीई, एनएएसी, एनडीएससी, आईसीएआर जैसे शीर्ष निकायों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। सम्मेलन उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा और बढ़ाएगा, जिससे रणनीतिक साझेदारी और नेटवर्क की स्थापना होगी, जिसमें कार्रवाई योग्य सिफारिशें शामिल होंगी, जो नीति सुधारों का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार की गई हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली प्रासंगिक, लचीली और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनी रहे। कार्रवाई योग्य सिफारिशों के आधार पर एक विश्वविद्यालय कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिसे आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सभी राज्यों के राज्यपालों, मंत्रालयों और उच्च शिक्षा के शीर्ष निकायों यानी यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई आदि को भेजा जाएगा।

दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान, वैश्वीकरण और अंतर्राष्ट्रीयकरण और भविष्य की उच्च शिक्षा की कल्पना – भारत की महत्वपूर्ण भूमिका सहित विषयों पर 2 पूर्ण सत्र आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा, एआई जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करना, शिक्षण प्रक्रिया में आभासी और संवर्धित वास्तविकता उच्च शिक्षा में साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता पर चर्चा होगी।

rkpnews@desk

Recent Posts

🌍 अफगानिस्तान में 6.0 तीव्रता का भीषण भूकंप: कुनर में तबाही, 500 मौतों की पुष्टि – हजारों की आशंका

काबुल/इस्लामाबाद (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी कुनर प्रांत में रविवार देर रात आए…

1 hour ago

देवरिया डीएम दिव्या मित्तल केंद्र सरकार की विकसित भारत परिकल्पना स्ट्रेटजी में चयनित

देवरिया, (राष्ट्र की परम्परा)देवरिया की जिलाधिकारी दिव्या मित्तल को केंद्र सरकार की विकसित भारत परिकल्पना…

1 hour ago

देवरिया पुलिस का तड़के का एक्शन – 548 व्यक्तियों की पहचान और 330 वाहनों की गहन पड़ताल

देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)पुलिस अधीक्षक विक्रान्त वीर के निर्देशन में जनपद पुलिस ने विशेष मॉर्निंग वॉकर…

2 hours ago

मोदी ने पाक को घेरा,पहलगाम हमले का जिक्र कर कहा – आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं

तियानजिन (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के पूर्ण…

2 hours ago

गयाजी में पितृपक्ष मेला: पीएम मोदी 17 सितंबर को करेंगे पिंडदान, रोड शो और रात्रि विश्राम की तैयारी

गया। (राष्ट्र की परम्परा )गयाजी शहर में 6 सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष मेले…

2 hours ago

SCO शिखर सम्मेलन में मोदी–पुतिन की गर्मजोशी भेंट, साझा तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल

तियानजिन (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने…

3 hours ago