गोंदिया Rkpnews– हमारे बड़े बुजुर्गों से हम पीढ़ी दर पीढ़ी रोज़ सुनते आ रहे हैं कि पहले सतयुग का दौर था क्योंकि उस युग में पाप का नामोनिशान नहीं था। हालांकि कुछ अपवाद भी हो सकते हैं, परंतु ओवरऑल सुख शांति संपन्नता से भरपूर था जिसमें पाप की परिभाषा अनैतिकता अपराध मानवीय अत्याचार भ्रष्टाचार सहित अनेकों बातें थी, जिसे वर्तमान समय में इंडियन पेनल कोड में परिभाषित किया गया है। चुंकि हम वर्तमानमें 19 से 25 दिसंबर 2022तक देशव्यापी सुशासन सप्ताह 2.0 मना रहे हैं और 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में भी मनाते हैं, परंतु वर्तमान घटनाओं और मीडिया में दिखाए ग्राउंड लेवल पर हो रहे कुछ कुशासन को हमें गंभीरता से रेखांकित कर उसमें अति गंभीर सुधार करना वर्तमान समय की मांग है,इसलिए आज हम मीडिया और पीआईबी के सहयोग से चर्चा करेंगे जिला एट द रेट100 सुशासन को सफ़ल बनाने के लिए पटवारी से लेकर कलेक्टर रैंक तकके हर शासकीय कर्मचारी को अपनी कर्तव्य परायणता और ज़वाबदेही इमानदारी से निभाने की ज़रूरत है।
साथियों बात अगर हम सुशासन जिला एट द रेट 100 – प्रशासन गांव की ओर की करें तो मेरा मानना है कि सरकार ने अब कुशासन समाप्त करके सुशासन की ओर तेज़ी से बढ़ने का प्रण लिया है,क्योंकि कुशासन की जड़ भ्रष्टाचार है अगर भ्रष्टाचार कोही जड़ से उठाकर काटा गया तो सुशासन अपने आप स्थापित होने की राह पर चल पड़ेगा। इस भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए पटवारी पद से लेकर कलेक्टर पद तक हर शासकीय कर्मचारी को अपने कर्तव्य परायणता और जवाबदेही का ईमानदारी से सहयोग देकर सहभागिता निभानी होगी। यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि मुझे इसका बहुत कटु अनुभव रहा है कि, किस तरह इस कड़ी लेवल पर घुमाया जाता है जिसका छोटा सा उदाहरण है, मेरे सातबारा में पटवारी द्वारा जानबूझकर भूमिस्वामी से भूमिधारी कर दिया और अपनी खुन्नस निकाली, जिसे सुधारने के लिए मैं मंडल अधिकारी से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक चकरे काटे लेकिन मिलीभगत से टालमटोल कर दिया गया। ऑनलाइन कंप्लेंट भी की लेकिन वह भी फ़िर जिला प्रशासन के पास जांच के लिए आया और स्थिति जस की तस बनी रही! फिर महाराष्ट्र शासन का जीआर आया और सभी भूमिधारी खेतियां भूमिस्वामी हो गई यह मेरा छोटा सा उदाहरण था। परंतु देश में लाखों करोड़ों लोग होंगे जो पटवारी से जिला प्रशासन तक चक्कर पे चक्कर काट रहे होंगे जिसका संज्ञान इस सुशासन सप्ताह के माध्यम से लेना अत्यंत जरूरी है। परंतु सबसे आसान उपाय इस शासकीय कर्मचारी की चैन जब तक ख़ुद जवाबदेही ईमानदारी और कर्तव्य परायणता का खुद संज्ञान नहीं लेंगे तब तक मेरा मानना है किसी न किसी रूप में कुशासन होता रहेगा।इसका सबसे बड़ा उदाहरण आज देश में गूंज रहे मदिरा कांड में मारे गए नागरिकों के रूप में हम देख सकते हैं।
साथियों बात अगर हम 19-25 दिसंबर 2022 को शुरू देशव्यापी सुशासन सप्ताह -2.0 के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री द्वारा संबोधन की करें तो उन्होंने कहा कि सुशासन का अंतिम और असली परीक्षण यह है कि इसका लाभ भारत के सबसे दूरस्थ गांव में रहने वाले हर एक नागरिक तक पहुंचना चाहिए।प्रशासन गांव की ओर 2022 जन शिकायतों के निवारण और सेवा वितरण में सुधार के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान है जो भारत के सभी जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा। 700 से अधिक जिला कलेक्टर ‘प्रशासन गांव की ओर’ 2022 में भाग ले रहे हैं। शिकायत निवारण सुशासन का मूल है और नागरिकों की आवाज सुनी जानी चाहिए और उनकी शिकायत का निवारण किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सीपीजीआरएएमएस ने 10 सूत्रीय सुधार को अपनाया है जिससे शिकायत निवारण समय में महत्वपूर्ण कमी और निपटान की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित हुआ है।अभियान के एक भाग के रूप में, जिला कलेक्टर सुशासन प्रथाओं/पहलों पर एक कार्यशाला का आयोजन करेंगे और भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक सेवानिवृत्त अधिकारी के परामर्श के साथ जिले के लिए एक विजन की रूपरेखा तैयार करने का प्रयास करेंगे, जिन्होंने जिले में उपायुक्त/जिलाधिकारी के रूप में कार्य किया है और प्रमुख शिक्षण संस्थानों के सेवानिवृत्त शिक्षाविदों और विचारकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। ये अधिकारी विज़न डॉक्यूमेंट डिस्ट्रिक्ट@100 के अंतर्गत जिले वर्ष 2047 के लिए जिले के लिए विजन/लक्ष्यों को परिभाषित करेंगे। यह आशा की जाती है कि सेवानिवृत्त उपायुक्तजिलाधिकारी, शिक्षाविद्, थिंक-टैंक का प्रशासनिक अनुभव वर्तमान की ऊर्जा के साथ परियोजना को पूरा करने में लाभकारी सिद्ध होगा। विकास की यात्रा में आगे बढ़ने के लिए उपायुक्त/जिलाधिकारी जिले के लिए एक दूरदर्शी दस्तावेज को परिभाषित और तैयार करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज सरकार में 86 प्रतिशत से अधिक शिकायतें ऑनलाइन दर्ज की जाती हैं, और एआई/एमएल प्रथाओं के उपयोग के माध्यम से बड़े डेटा को संभालना संभव हो गया है और सीपीजीआरएएमएस पोर्टल देश में अधिकारियों के अनुसार लंबित शिकायतों की पहचान करने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि एक शिकायत का निवारण न केवल पीड़ित को लाभान्वित करता है बल्कि यह प्रशासन को भी पुरस्कृत करता है क्योंकि एक संतुष्ट नागरिक नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद करता है, इस प्रकार सरकार के प्रयासों को काफी हद तक सफल बनाता है।जैसा कि विषय से ही पता चलता है कि प्रशासन गांव की ओर, अभियान के दौरान प्रशासन को सीधे लोगों तक ले जाने पर बल दिया जाता है। उन्होंने कहा सरकार ने व्यापकडिजिटलीकरण नीति द्वारा हजारों नागरिक केंद्रित सेवाओं को नागरिकों के दरवाजे तक पहुंचाने का प्रयास किया है, ताकि ग्रामीण-शहरी विभाजन के बिना देश के विकास का लाभ पूरे देश में समान रूप से प्रदान किया जा सके। उन्होंने बताया कि जन शिकायतों के समाधान और बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए जिला कलेक्टर तहसील/पंचायत समिति स्तर पर विशेष शिविर/कार्यक्रम आयोजित करेंगे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पीएम के निर्देश पर एक जिले के सेवानिवृत्तउपायुक्त/जिलाधिकारी को वर्ष 2047 के लिए जिले का विजन दस्तावेज ज़िला @ 100 तैयार करने में शामिल करने के लिए एक अभिनव और दूरगामी कदम उठाया गया है। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्र तभी विकसित हो सकता है जब देश के सभी जिले अपनी अंतर्निहित शक्तियों का लाभ उठाते हुए एक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ विकास करने का लक्ष्य रखते हैं।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत के सतत विकास के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए, योजनाओं को वास्तविक रूप से निचले स्तर पर रहने वाले लोगों की जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखना चाहिए और एक पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह तरीके से नवीनतम तकनीकी साधनों के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए। भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का बड़ा सपना गांवों को शामिल किए बिना पूरा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने रेखांकित किया कि ग्रामीण और उपेक्षित क्षेत्रों का विकास सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में से एक रहा है और शहरी और ग्रामीण भारत के बीच की खाई को पाटना है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि देशव्यापी सुशासन सप्ताह -2.0 19-25 दिसंबर 2022 आरंभ हुआ। जिला एट द रेट100 – प्रशासन गांव की ओर।जिला एट द रेट100 शासन को सफ़ल बनाने पटवारी से लेकर कलेक्ट्रेट तक हर शासकीय कर्मचारी को अपने कर्तव्य परायणता ज़वाबदेही इमानदारी से निभाना ज़रूरी है।
–संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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