April 20, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

बुद्धम् शरणम् गच्छामि

बुद्धं शरणम् गच्छामि,
मैं बुद्ध की शरण लेता हूँ,
धम्मं शरणम् गच्छामि,
मैं धर्म की शरण लेता हूँ,
संघं शरणम् गच्छामि,
मैं संघ की शरण लेता हूँ,
एस धम्मो सनातनो,
अर्थात यही सनातन धर्म है।

प्रबुद्ध बुद्ध के लिये विनम्र नमन है,
महात्मा बुद्ध की आज जयंती है,
सादर समर्पित श्रद्धांजलि सुमन हैं,
सिद्धार्थ गौतम का यही जन्मदिन है।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन जन्म, मृत्यु
और ज्ञानोदय का पर्व मनाते हैं,
बौद्ध धर्म के त्योहारों में एक मान व्यापकता के साथ इसे मनाते हैं।

बौद्ध धर्म ने अहिंसा, जीवन के
प्रति सम्मान और महिलाओं के
लिए समानता की शिक्षाओं की
वजह से लोकप्रियता प्राप्त की।

ये अवधारणाएँ ही प्रगति के
पारंपरिक व आधुनिकतम
विचारों से प्रतिध्वनित हुईं,
कई देशों को बौद्ध बना गईं।

बौद्ध धर्म ने दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों को भी अपनाया है,
जिसके फल स्वरूप ही विभिन्न
संप्रदायों का प्रादुर्भाव हुआ है।

आदित्य बौद्ध दर्शन देवताओं
का कोई जश्न नहीं मनाता है,
जो दुनिया भर के लोगों में इसे
समावेशी, लोकप्रिय बनाता है।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’