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मुलाक़ात हो न हो बात होनी चाहिये,
मिलन हो न हो अनुराग होना चाहिये,
दोस्ती दिल से हो तो और अच्छा है,
दोस्ती में जज़्बात क़ाबू होना चाहिए।
दीदारे यार की ख्वाहिश ज़रूरी है,
बाहों में भरकर गले लगना ज़रूरी है,
तनहाइयों में दोस्त मिलें या न मिलें,
महफ़िलों में मिलना फिर भी ज़रूरी है।
उत्सुकता बढ़ी है मित्र के मिलन की,
जिज्ञासा बढ़ रही है दोनो दिलों की,
बाहों में झप्पी भर फिर जकड़ लेना,
हाँथों को हाथों में भर कर चूम लेना।
इसमें शायरी कहाँ है बस जज़्बात हैं,
दिल से दिल मिल जाते हैं ये बात है,
समुंदर को भी तालाब की तलब है,
मुझे अब अपनी दोस्ती की क़दर है।
स्वागत आपका दिल की गहराई से,
दोस्ती मिशाल होगी हमारी आपसे,
अगर तुम न चाहो तो भी मैं मित्र बनूँगा,
भले कभी न मिलें, मन से मित्रता करूँगा।
आदित्य दिल दिया है दर्द मत देना,
अपना माना है तो पराया न करना,
यूँ ही मंज़िल सफ़र तय हो जाएगी,
मित्र की याद में जिंदगी कट जाएगी।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’,
लखनऊ
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