
लेखपाल की लगाई आग की लपटों में झुलस गया पत्नी मुराती देवी का सपना, नहीं मिला संतबली को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा
- पति के मृत्यु के बाद मजदूरी करके भरण पोषण करती हैं बूढ़ी पत्नी
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा) दो वक्त की रोटी के लिए जीवन से जंग लड़ रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संत बली की पत्नी मुराती देवी पथराई आंखे। सफेद हो चुके बाल।
मानों उसकी किस्मत रूठ गई है। कभी आसमान की ओर टकटकी लगाए देखती है तो कभी अपने किस्मत को कोसती है। भगवान किस जन्म की गलती की सजा आज हमें मिल रही है। मेरा कसूर सिर्फ इतना ही है कि देश के लिए मर मिटने वाले पति के संग ब्याह रचाया। मेरे पति ने देश की आजादी में जवानी की हर दम लगा दी। उन्होंने जेल की प्रताड़ना सही। अंग्रेजों के कोड़ों ने उनके शरीर को छलनी कर दिया। शायद उसका फल यही मिला, कि आजादी के इतने दिनों के बाद भी मेरे पति ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के हक खातिर लड़ते-ल़ड़ते दम तोड़ दिए। लेकिन उन्हें शासन-प्रशासन से कोई मदद नही मिली। उस समय एक लेखपाल की लगाई आग की लपटों में उनके सभी सपने जलकर खाक हो गए। अब मेरी बारी है। पति के मृत्यु के बाद दो वक्त की रोटी भी नसीब नही हो रही है। अब तो देश के प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी और प्रदेश मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ का ही सहारा है। यह कहानी किसी फिल्म या उपन्यास की कहानी नहीं, बल्कि सदर ब्लाक के बांसपार बैजौली गांव की है। जहां के निवासी संतबली ने देश कोआजाद कराने में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
प्रोफेसर शिब्बन लाल सक्सेना के साथ कई जंग लड़ी है। अंग्रेजों से लोहा लेने वाले संतबली आजादी के बाद अपना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का हक पाने के लिए लड़ते लड़ते जीवन लीला समाप्त कर दिए लेकिन आज तक उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं मिल सका । उनकी मृत्यु के बाद बूढ़ी हो चुकी उनकी पत्नी मुराती देवी ने फिर डीएम को प्रार्थना पत्र देकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का हक दिलाने की मांग की हैं। स्वर्गीय संतबली ने कभी सोचा न होगा कि जिस देश व समाज के लिए वह अपने परिवार से कई दिनों तक दूर रहकर आजादी की लड़ाई लड़ी। उनके परिवार का यह हश्र होगा। लेखपाल जनकराज की फर्जी रिपोर्ट ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बनने से वंचित कर दिया। आज उनका परिवार भूखमरी की कगार पर है। संतबली ग्राम बांसपार बैजौली के बाजार टोला के रहने वाले थे। वह 1919 में पैदा हुए थे और 29 मई 2018 को उनकी मृत्यु हो गई। प्रोफेसर शिब्बन लाल सक्सेना व बांसपार बैजौली निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन्नेलाल व अन्य सेनानियों के साथ संतबली ने देश को आजाद कराने की जंग में हिस्सा लिया था। इसमें बन्नेलाल समेत कई लोग तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित हो गए। लेकिन संतबली लेखपाल और अधिकारियों एक चूक के चलते स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित नहीं हो सके । तत्कालीन लेखपाल ने जांच के क्रम में सही रिपोर्ट लगाया था। जिसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को पात्र बताया गया है। लेकिन बाद में लेखपाल ने बिना साक्ष्य देखे और बिना घर आए रिपोर्ट लगा दिया। स्वर्गीय संतबली की पत्नी मुराती देवी ने बताया कि जांच के क्रम में लेखपाल जनकराज मेरे घर नहीं आए। बिना साक्ष्य देखे फर्जी रिपोर्ट लगा दिया। जिस कारण आज तक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं मिल सका है। आज बूढ़ी मुराती देवी व बेटा चुल्हाई दूसरों के यहां मजूदरी करके परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। स्वर्गीय संतबली की पत्नी ने बताया कि उनके पति के पास स्वतंत्रता संग्राम कहलाने के लिए पर्याप्त सबूत व कागजाद हैं। शुरू में हुई जिले की जांच में उन्हें पात्र भी माना गया। पूर्व के लेखपाल ने सही रिपोर्ट लगाया। लेकिन बाद में जांच में लेखपाल जनकराज ने बिना घर आए बिना कागजाद देखे अधूरा रिपोर्ट लगाकर उच्चाधिकारियों को भेज दिया। अधिकारियों ने भी आंख बंद करके लेखपाल की झूठी रिपोर्ट को मान लिया। जिससे आज तक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं मिल सका है। स्वर्गीय संतबली देश के इतने बड़े भक्त थे कि उनके घर पर चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, महात्मा गांधी समेत अनेक वीरों का फोटो लगा है। छत पर तिरंगा आज भी लहराता रहता है। स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को देखते हुए तत्कालीन डीएम ने गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक इंटर कालेज में आयोजित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व सेनानी उत्तरधिकारियों को प्रशस्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में दिसंबर 1992 में स्वर्गीय संतबली को प्रशस्ति पत्र दिया था। इस प्रशस्ति पत्र पर स्वर्गीय संतबली को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने की बात कही गई है। इस पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री चंद्र प्रकाश, परगना अधिकारी सदर अरूण कुमार श्रीवास्तव व तत्कालीन अधिकारी का हस्ताक्षर भी है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन्ने लाल, जगदेव मिश्र, त्रिवेनी प्रसाद समेत कई ने स्वर्गीय संतबली को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित किए जाने के लिए प्रमाण पत्र जारी किया है। बताया है कि स्वर्गीय संतबली ने उनके साथ स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हिस्सा लिया था। ये पात्र हैं। इनको लाभ दिया जाना चाहिए। फिर भी धन लोलूप लेखपाल ने फर्जी रिपोर्ट लगा दिया।
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