पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। राजधानी में आम लोगों की थाली तक जहर पहुंचाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। खाद्य सुरक्षा प्रशासन की टीम ने मीठापुर और मीना बाजार मंडी में छापेमारी कर पुराने आलू को नया दिखाकर बेचे जाने का गोरखधंधा पकड़ा है। जांच में खुलासा हुआ कि इन आलुओं को गेरुआ मिट्टी और हानिकारक रसायनों से चमकदार बनाया जा रहा था। टीम ने मौके से करीब दो ट्रक आलू जब्त किए और उन्हें जांच के लिए लैब भेजा है।
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कार्रवाई का नेतृत्व खाद्य सुरक्षा अधिकारी अजय कुमार ने किया। टीम को सूचना मिली थी कि मंडी में पुराने आलू को “नया आलू” बताकर ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो पाया कि आलुओं को रंग और केमिकल से चमकाया जा रहा था। बाजार में नया आलू 75–80 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि पुराना आलू केवल 20–25 रुपये किलो मिलता है। इसी भारी मुनाफे के लालच में कारोबारी उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे थे।
जांच में यह भी पता चला कि ये आलू छत्तीसगढ़ से लाए जाते थे। इनमें केमिकल इतना अधिक था कि आलू दो दिन के भीतर ही सड़ जाते थे। यानी ग्राहकों तक पहुंचते-पहुंचते ही इनकी असली पहचान उजागर हो जाती।
मंडी से कैफे-बिरयानी हाउस तक छापेमारी
टीम ने केवल मंडियों में ही नहीं, बल्कि शहर के अन्य हिस्सों में भी औचक जांच की। बोरिंग रोड स्थित गोरखनाथ कॉम्प्लेक्स के एक कैफे और राजा बाजार के एक बिरयानी हाउस में भी छापा मारा गया। यहां नकली पनीर बेचने की आशंका पर नमूने लिए गए और फिलहाल बिक्री रोक दी गई है। यह साफ दर्शाता है कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता से बड़े पैमाने पर समझौता हो रहा है।
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कैसे पहचानें नकली आलू?
विशेषज्ञों का कहना है कि नकली आलू को पहचानना मुश्किल नहीं है।असली आलू में प्राकृतिक खुशबू होती है, जबकि केमिकल वाले आलू से अजीब गंध आती है।असली आलू को काटने पर अंदर और बाहर का रंग समान होता है, जबकि नकली में असमान्यता दिख सकती है।पानी में डालकर भी जांच की जा सकती है। असली आलू पानी में डूब जाता है, जबकि केमिकल से भारी आलू तैर सकते हैं।
सेहत पर खतरनाक असर
पीएमसीएच के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जे.के. तिवारी के अनुसार, गेरुआ मिट्टी और रसायनों से रंगे आलू का सेवन लिवर और किडनी पर सीधा असर डालता है। लंबे समय तक ऐसे आलू खाने से किडनी फेल होने तक का खतरा बढ़ सकता है। डॉक्टरों ने उपभोक्ताओं को चेतावनी दी है कि आलू खरीदते समय विशेष सतर्कता बरतें, खासकर तब जब आलू असामान्य रूप से चमकदार लगे और दाम बहुत अधिक हों।
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बड़ी चुनौती : भरोसा किस पर करें?
यह खुलासा खाद्य सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अगर पटना जैसे बड़े शहर में खुलेआम नकली आलू और नकली पनीर बेचे जा रहे हैं, तो छोटे कस्बों और गांवों में स्थिति कितनी भयावह हो सकती है, यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
फिलहाल कार्रवाई जारी है, कारोबारी फरार हैं। लेकिन असली चुनौती यह है कि आम उपभोक्ता आखिर भरोसा किस पर करे। साफ है कि “नए आलू” के नाम पर बाजार में ज़हर परोसा जा रहा है और उपभोक्ताओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद जागरूक रहना होगा, क्योंकि एक लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती है।
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