बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) प्रदेश व जनपद का सबसे बड़ा वेटलैंड तालाब बघेल से रूठ गए मेहमान पक्षी जिससे धीरे-धीरे इनका कलरों तालाब बघेल से सूना हो गया है!
तालाब बघेल की शोभा देने वाले विदेशी मेहमान पक्षियों की प्रतिवर्ष निरंतर आमद कम होती जा रही है माह नवंबर शुरू होते ही मानसरोवर जैसे पवित्र स्थल से भारी झुंड में उड़ान भरकर चारा पानी के वास्ते बैट लैंड तालाब मे शरणलेते रहे लगभग 15 वर्ष पूर्व बहराइच के जिलाधिकारी अतुल बगाई ने तालाब बघेल को पक्षी शरण स्थली की मान्यता दी थी जहां दूर देश से मेहमान पक्षी आकर 5 माह तक मेहमान के रूप में ठिकाना बनाया करते थे परंतु दिनों दिन इनकी संख्या कम होने के साथ रूठ कर मुंह मोड़ कर कहीं दूसरे सरोवर में ठिकाना बना लिया है !अथवा इनका रास्ते में ही शिकारी शिकार कर चूके है! जिस कारण तालाब बघेल में पहले की अपेक्षा इस वर्ष बिल्कुल मेहमान पक्षियों की संख्या कम है! सुबह शाम दुर्लभ मेहमान पक्षियों के कलरों से जहां पूरा क्षेत्र गुलजार रहता था आज मेहमान पक्षियों के इंतजार में देश व जनपद का सबसे बड़ा तालाब बघेल अपने को उपेक्षित महसूस कर रहा है! इतना ही नहीं दुर्लभ मेहमान पक्षियों को देखने व उनकी कलरों को सुनने के लिए दूर दराज से सैलानी आते थे वह भी आना कम कर दिया! घास फूस झाड़ झंखारो से पटा तालाब की सुंदरीकरण भी ना होना पक्षियों का रूठना माना जा रहा है! वैसे तो इस बारे में जब वन क्षेत्राअधिकारी हरिश्चंद्र त्रिपाठी व डिप्टी रेजर, योगेंद्र प्रताप यादव से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि पहले की अपेक्षा इस वर्ष मेहमान पक्षियों का आमद काम है पहले जैसा कलरव नहीं सुनाई पड़ रहा हालांकि उनके सुरक्षा व्यवस्था के लिए टीम का गठन कर मेहमान पक्षियों के दुश्मन शिकारियो पर पैनी नजर रखी जा रही है!
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