सेहत के लिए शक्कर के खिलाफ़ विश्वयुद्ध-भारत से यूएई तक चीनी कम अभियान-यूएई में 1जनवरी 2026 से चीनी आधारित टैक्स सिस्टम लागू

सेहत के लिए शक्कर एक धीमा जहर है,इसके खिलाफ़ भारत के साथ यूएई ने भी कमर कसी- दीर्घकालीन रणनीति पर काम शुरू

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर जहां एक और दुनियाँ युद्ध के साए में घिरी हुई है, तो दूसरी ओर अब मानवीय स्वास्थ्य को लेकर विश्व में दीर्घकालिक मंथन शुरू हो गया है। क्योंकि वर्षो पुरानी कहावत हेल्थ इज़ वेल्थ अब हर देश के सरकारों को पूरी तरह समझ में आ गई है,इसलिए अब 106 से अधिक देशों ने कार्बोनेटेड ड्रिंक पर विशेष कर या उपकर लगाया जाता है।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि भारत में तो तंबाकू शराब इलेक्ट्रॉनिक इलेक्ट्रिकल स्मोकिंग डिवाइसेस एनर्जी ड्रिंक्स पर अधिक टैक्स लगाए जाते हैं, परंतु यूएई में इस पर अब 100 पेर्सेंट टैक्स होगा,यानें अब वहां एक जनवरी 2026 से जिस कोल्डड्रिंक या किसी भी पेय पदार्थ में शक्कर अधिक होगी तो उसपर उतना ही अधिक टैक्स लगाया जाएगा, यानें अब टैक्स रिटेल प्राइस पर नहीं बल्कि अधिकतम चीनी प्रयोग पर टैक्स लगाया जाएगा तो, भारत में अभी स्कूलों शासकीय कार्यालयों सार्वजनिक स्थानों सहित हर जगह वसा यांने शक्कर की मात्रा विभिन्न खाद्य पदार्थों में कितनी है उस जानकारी के बोर्ड हर स्थान पर लगाने होंगे, क्योंकि अब पूरी दुनियाँ हेल्थ इस वेल्थ के सूत्र को स्वीकृत कर इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रही है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मधुमेह मोटापे जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को कम करने, स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों को वित्तीय प्रोत्साहन की वैश्वीकरण नीति लागू करने की ओर कदम बढ़ा दिए गए हैं, इसीलिए सेहत के लिए शक्कर के खिलाफ विश्वयुद्ध, भारत से यूएई तक चीनी कम अभियान शुरू, यूएई में 1 जनवरी 2026 से कोल्डड्रिंक व पेय पदार्थों पर, चीनी आधारित टैक्स लगेगा।
साथियों बात अगर हम चीनी के अधिकतम सेवन से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की करें तो,वैश्विक स्तरपर, चीनी के अत्यधिक सेवन से स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें मोटापा, हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, यकृत रोग और दांतों की सड़न शामिल हैं। इसलिए, चीनी के सेवन को कम करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए वैश्विक स्तरपर कार्रवाई शुरू करना महत्वपूर्ण है।चीनी, और विशेष रूप से मीठे पेय पदार्थों की खपत को कम करने के प्रयास में, दुनियाँ भर की सरकारों ने मीठे पेय पदार्थों पर कर लगाने सहित कई रणनीतियां लागू की हैं।मेक्सिको ने 10 पेर्सेंट “चीनी कर” लागू किया है , जिसके परिणामस्वरूप चीनी- मीठे पेय पदार्थों की खपत में 12पेर्सेंट की कमी आई है। फ्रांस और चिली ने भी इसी तरह के कर लागू किए हैं, जबकि इंडोनेशिया, भारत और फिलीपींस जैसे अन्य देश चीनी पर कर लगाने पर विचार कर रहे हैं।कैंसर रिसर्च यूके और यूके हेल्थ फ़ोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार , ब्रिटेन में चीनी-मीठे पेय पदार्थों पर कर लगाने से अगले 10 वर्षों में 37 लाख लोगों को मोटापे से बचाया जा सकता है। सर्वेक्षण में शामिल आधे से ज़्यादा ब्रिटिश जनता ने इस कर का समर्थन किया है।
साथियों बात अगर हम संयुक्त अरब अमीरात में 1 जनवरी 2026 से मीठे पेय पदार्थों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की करें तो, यूएई मीठे पेय पदार्थों पर एक नया चीनी-सामग्री-आधारित उत्पाद शुल्क लागू करेगा, वित्त मंत्रालय और संघीय कर प्राधिकरण (एफटीए) ने शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 को घोषणा की।यह कदम स्वस्थ उपभोग की आदतों को बढ़ावा देने तथा जनसंख्या में चीनी के सेवन को कम करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।संशोधित मॉडल के तहत, कर अब एक समान 50 प्रतिशत की दर से नहीं लगाया जाएगा।इसके बजाय, इसकी गणना प्रति 100 मिलीलीटर चीनी की मात्रा के आधार पर की जाएगी-अर्थात, उच्च चीनी स्तर वाले उत्पादों पर अधिक कर लगाया जाएगा, जबकि कम चीनी वाले लोगों को कम दर का भुगतान करना पड़ सकता है।
यह पहल बेहतर आहार संबंधी आदतों को बढ़ावा देने और मधुमेह व मोटापे जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को कम करने की यूएई की दीर्घकालिक रणनीति के अनुरूप है। स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों को वित्तीय प्रोत्साहन देकर, अधिकारी उपभोक्ताओं और निर्माताओं, दोनों को स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक विकल्पों की ओर प्रेरित करने की उम्मीद करते हैं।मंत्रालय ने एक बयान में कहा,”संशोधित ढाँचा जन स्वास्थ्य और सतत कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है। हम दीर्घकालिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राजकोषीय नीति का लाभ उठा रहे हैं
साथियों बात अगर हम भारत में कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर टैक्स की करें तो,इसपर कई देशों में उच्च कर लगाया जाता है, जिसे अक्सर “चीनी कर” या “सॉफ्ट ड्रिंक टैक्स” कहा जाता है। भारत में भी, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर 28 पेर्सेंट जीएसटी और 12 पेर्सेंट क्षतिपूर्ति उपकर लगता है, जिससे कुल कर 40 पेर्सेंट हो जाता है।उच्च कर का कारण:- कार्बोनेटेड ड्रिंक, विशेष रूप से जिनमें चीनी की मात्रा अधिक होती है, को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। इसलिए, कई सरकारें इनपर उच्च कर लगाकर लोगों को इनके सेवन से हतोत्साहित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की कोशिश करती हैं मीडिया के अनुसार, 106 से अधिक देशों में कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर विशेषकर या उपकर लगाए जाते हैं।दरअसल, सरकार को इन ड्रिंक्स पर अभी तक लागू 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब को कम किए जाने का अनुरोध मिला है,महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने केंद्रीय वित्तमंत्री से कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर लागू जीएसटी को तर्कसंगत बनाने का आग्रह किया है,हालांकि, इस पर फैसला आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा।
साथियों बात अगर हम अधिक शक्कर सेवन से होने वाली स्वास्थ्य हानि की करें तो,इंसान की जीभ में पांच तरह के टेस्ट बड्स होते हैं। इनसे ही हमें मीठे, नमकीन, खट्टे, कड़वे और तीखे का अहसास होता है। इनमें सबसे शक्तिशाली है मीठे का स्वाद। इतना शक्तिशाली कि दुनिया की सबसे बेस्वाद और कड़वी चीजें भी शक्कर में लिपटी हों तो स्वादिष्ट लगने लगती हैं।दुनिया में अनगिनत लोग इसी मीठे के नशे में डूबे हुए हैं। इन लोगों को चीनी के स्वाद से मुहब्बत है। लेकिन शायद ये लोग नहीं जानते कि यह चीनी ही उनकी असली दुश्मन है। चीनी दुनिया का सबसे खतरनाक और एडिक्टिव ड्रग है, अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक चीनी इंसान के लिए किसी बंदूक से ज्यादा घातक है। ज्यादा चीनी खाने से हर तरह की बीमारी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इससे मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, अल्जाइमर्स जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ये हेल्थ कंडीशन हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकती हैं। साल 2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सलाह दी थी कि लोगों को अपना डाइट प्लान इस तरह बनाना चाहिए कि एक दिन के टोटल कैलोरी इंटेक का 5 परेसेंट से ज्यादा ऐडेड शुगर से न आए। यानी अगर आप दिनभर में 2,000 कैलोरीज ले रहे हैं तो अधिकतम 100 कैलोरी ही ऐडेड शुगर से आए। यह लगभग 6 चम्मच चीनी खाने के बराबर होगा।अधिक चीनी खाने से कई गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। लेकिन, कुछ असर नजर आ सकते हैं। (1) थकान महसूस होती है। (2) मूड खराब हो जाता है। (3) पेट में आती सूजन: (4) ज्यादा भूख लगती है।ज्यादा चीनी खाने से लंबे समय में होने वाले नुकसान बेहद खतरनाक हैं।(5)दांत सड़ सकते हैं (6) मुंहासे हो सकते हैं। (7) बढ़ सकता है वजन और मोटापा (8) टाइप-2 डायबिटीज का खतरा (9) ब्लड प्रेशर बढ़ता है।(10) कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सेहत के लिए शक्कर केखिलाफ़ विश्वयुद्ध-भारत से यूएई तक चीनी कम अभियान-यूएई में 1जनवरी 2026 से चीनी आधारित टैक्स सिस्टम लागू सेहत के लिए शक्कर एक धीमा जहर है,इसके खिलाफ़ भारत के साथ यूएई ने भी कमर कसी- दीर्घकालीन रणनीति पर काम शुरूमधुमेह मोटापे जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को कम करने, स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों को वित्तीय प्रोत्साहन की वैश्विक रणनीति सराहनीय है।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9226229318

Editor CP pandey

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