गायत्री मंत्र: भारतीय संस्कारों की आत्मा और चेतना का शाश्वत स्रोत

कैलाश सिंह
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)।भारतीय सभ्यता की आत्मा उसके संस्कारों में निहित है और इन संस्कारों की चेतना का मूल स्रोत है—गायत्री मंत्र। यह केवल एक वैदिक मंत्र नहीं, बल्कि विचार, विवेक और जीवन-दृष्टि को दिशा देने वाला महामंत्र है। वेदों में प्रतिष्ठित गायत्री मंत्र को वेदमाता की संज्ञा दी गई है, क्योंकि यह मनुष्य को अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर अग्रसर करने का आह्वान करता है।
ॐ भूर्भुवः स्वः, तत्सवितुर्वरेण्यं… इन पवित्र पंक्तियों में भारतीय दर्शन की गहनता और व्यापकता समाहित है। यह मंत्र सूर्य रूपी सविता से प्रार्थना करता है कि वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे। इसीलिए गायत्री मंत्र को केवल कर्मकांड तक सीमित नहीं माना गया, बल्कि इसे बुद्धि, विवेक और सद्बुद्धि का मंत्र कहा गया है। यह मनुष्य को सही सोच, सही कर्म और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, जो भारतीय संस्कारों का मूल आधार है।
गायत्री मंत्र का महत्व केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। यह व्यक्ति में आत्म-संयम, अनुशासन, करुणा और परोपकार की भावना विकसित करता है। जब व्यक्ति की बुद्धि शुद्ध और प्रबुद्ध होती है, तब समाज स्वतः ही संस्कारित होने लगता है। यही कारण है कि प्राचीन गुरुकुल परंपरा में बालक की शिक्षा का आरंभ गायत्री उपासना से होता था। उस समय शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और जीवन-मूल्यों का विकास माना जाता था।
आज के भौतिकवादी युग में, जब सफलता को केवल धन, पद और प्रतिष्ठा से आंका जा रहा है, गायत्री मंत्र हमें यह स्मरण कराता है कि बिना नैतिकता और संस्कार के विकास अधूरा और दिशाहीन है। यह मंत्र अहंकार को विनम्रता में, स्वार्थ को सेवा में और अज्ञान को विवेक में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। यही भारतीय संस्कृति की विशिष्टता है, जहां आध्यात्म जीवन से पलायन नहीं, बल्कि जीवन को श्रेष्ठ और संतुलित बनाने का साधन माना गया है। गायत्री मंत्र की वैज्ञानिकता भी उल्लेखनीय है। इसके नियमित उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें मानसिक एकाग्रता बढ़ाती हैं, तनाव को कम करती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। यही कारण है कि युगों-युगों से इसे साधना और साधक दोनों का आधार माना गया है। मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह मंत्र मानसिक संतुलन और आत्मिक शांति प्रदान करने वाला माना जाता है।
आज आवश्यकता इस बात की है कि गायत्री मंत्र को केवल पूजा-पाठ और अनुष्ठानों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसके भावार्थ को व्यवहार और जीवन में उतारा जाए। यदि हमारी बुद्धि प्रबुद्ध होगी, तो राजनीति शुद्ध होगी, समाज समरस बनेगा और राष्ट्र सशक्त दिशा में आगे बढ़ेगा। गायत्री मंत्र भारतीय संस्कारों की आत्मा है, जो हर युग में मनुष्य को सच्चे अर्थों में मानव बनने की प्रेरणा देता है। यही कारण है कि गायत्री मंत्र केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि भारतीय चेतना का शाश्वत प्रकाशस्तंभ है—जो अंधकार में भी मार्ग दिखाता है और जीवन को सत्य, करुणा व विवेक के पथ पर ले जाता है।

rkpnews@somnath

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