बलिया(राष्ट्र की परम्परा)
गंगा नदी ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाते हुए तीसरी बार खतरे के निशान को पार कर लिया है। गंगा के उफान ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदी किनारे अंतिम संस्कार स्थलों पर जलभराव होने से लोग अब सड़क किनारे शवदाह करने को मजबूर हो गए हैं। शुक्रवार को बैरिया तहसील के नौरंगा चक्की गांव में गंगा की कटान से 10 पक्के मकान नदी में समा गए। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पहली बार गंगा का इतना भयावह रूप देखा है। इस गांव तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता भी अब नदी के पानी में डूब गया है। गंगा के बढ़े जलस्तर से जिले की लगभग 70 हजार की आबादी प्रभावित हुई है। अब तक करीब 70 मकान नदी की गोद में समा चुके हैं। सदर तहसील क्षेत्र के महावीर घाट पर अंतिम संस्कार करने आए लोगों को भारी संकट का सामना करना पड़ा। गंगा किनारे जगह न मिलने पर निर्माणाधीन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के पास सड़क पर ही शवदाह करना पड़ा। शहर के निचले इलाके जलमग्न
नदी का पानी शहर में भी घुस आया है। निहोरा नगर, महावीर घाट, कृष्णा नगर, बेदुआ, गायत्री कॉलोनी और मुहम्मदपुर जलमग्न हो गए हैं। सड़कें डूबने से आवागमन ठप हो गया है और लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। ग्रामीण इलाकों में दिक्कतें
गंगा की बाढ़ का असर ग्रामीण इलाकों में भी गहराता जा रहा है। दुबे छपरा, गोपालपुर, उदई छपरा, केहरपुर और चक्की नौरंगा समेत कई गांवों में पानी घुस चुका है। तटवर्ती इलाकों के लोग बेहद परेशान हैं।
सरयू का जलस्तर घटा, लेकिन संकट बरकरार सरयू (घाघरा) नदी का जलस्तर जरूर घट रहा है, लेकिन गंगा अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर में फिलहाल थोड़ी कमी आई है, पर खतरा अभी टला नहीं है।
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