
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। सनातन धर्म व संस्कृति का प्रमुख पर्व गणेश चतुर्थी व्रत इस बार 29 जनवरी को मनाया जाएगा।उक्त बातें बताते हुए जयराम ब्रम्ह धाम मंगराइच के आचार्य अजय कुमार शुक्ल ने बताया कि यह व्रत गणेश जी के पूजा अर्चना के साथ ही चंद्रदेव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।इस व्रत को लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी व्रत भी कहते हैं।यह व्रत महिलाओं का प्रमुख व्रत है।इसके लिए चतुर्थी तिथि के दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर काठ के चौकी पर कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर दीपक जलाकर फूल ,माला और दूर्वा चढाए।इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ कर आरती करें।इस अवसर पर विशेष प्रसाद चढ़ाने का विधान है जो बूंदी का लड्डू या मोदक होता है।गणपति बप्पा को भोग लगाकर लोगों में प्रसाद वितरण करें।चन्द्रदेव को अर्घ्य देने के बाद पारण करें।उत्तर भारत में इस दिन प्रसाद के रूप में शकरकंद ,गुड़ व तिल मिलाकर प्रसाद बनाने का प्रचलन है।भगवान गणेश की आराधना सच्चे दिल से करने पर सारे कष्ट दूर होता है तथा जीवन सुख समृद्धि के साथ व्यतीत होता है।
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