December 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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पुण्यतिथि पर याद किए गए स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व सांसद कामरेड सरजू पाण्डेय

रतनपुरा/मऊ (राष्ट्र की परम्परा)
उत्तर प्रदेश किसान सभा के तत्वाधान में ब्लॉक मुख्यालय के प्रांगण स्थित शहीद स्थल पर पहुंच कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व सांसद व पूर्व विधायक कामरेड सरजू पाण्डेय की पुण्य तिथि पर लोगों ने उनके संघर्षों को याद करते हुए, श्रद्धांजलि अर्पित किया। इनका जन्म 19 नवंबर 1919 को जनपद गाज़ीपुर अंतर्गत कासिमाबाद थानांतर्गत ग्राम उरहा में हुआ था। सन् 1936 में कांग्रेस कौमी सेवा दल में शामिल होने के बाद आजादी की लड़ाई में कूद गए थे।1940से लेकर 1946 तक वे आजादी से जुड़े गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए कई बार जेल गए तथा उन्हें सजा भी भुगतनी पड़ी थी। 1946 में जेल से बाहर आने के पश्चात उन्होंने कम्यूनिस्ट पार्टी की बागडोर संभालते हुए जिला इकाई का गठन किया। 5 अगस्त 1942 को सरजू पाण्डेय के नेतृत्व में आम लोगों ने कासिमाबाद थाने को आग के हवाले कर, ब्रिटिश सरकार के असलहों को लूट लिया था।इस घटना के बाद पाण्डेय ने ब्रिटिश जज के सामने अपने उपर लगे सभी आरोपों को सहर्ष स्वीकार कर लिया था। देश के आजाद होने के बाद वे कई बार गाजीपुर से सांसद चुने गए। दृढ़ता, सौम्य सरल सहज स्वभाव के होते हुए भी वे अन्याय को सहन नहीं करते बल्कि उसका डटकर मुकाबला किया करते थे। उस दौर में सरजू पाण्डेय नौजवानों के आदर्श माने जाने लगे जिनसे प्रेरित होकर बहुत से नौजवान उनके अनुयायी बन गए। सन् 1957 के आम चुनाव में वे एक साथ लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीतकर सबको अचंभित कर दिए थे। यह वह दौर था जब कांग्रेस की तूती बोलती थी। पंडित नेहरू ने उन्हें कई बार अपने सरकार में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया लेकिन लोग बताते हैं कि उन्होंने इंकार कर दिया था। सरजू पाण्डेय अन्याय अत्याचार के विरुद्ध गरीबों मजदूरों मजलूमों की आवाज उठाने के लिए आज भी जाने जाते हैं। सरजू पाण्डेय पूर्वांचल के बड़े राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते थे। वे लगातार लोगों के विचारों में क्रांतिकारी बदलाव लाने के पक्षधर थे।
मुख्य वक्ता समाजवादी पार्टी के नेता निसार अहमद ने कहा कि आज जो हम आजादी के खुली फिजाओं में सांस ले रहे हैं उसमें स्वतंत्रता सेनानियों का ही योगदान है। गोबर में से अनाज निकाल कर,और आम की गुठली की रोटी बनाकर खाने को अभिशप्त जनता की वेदना को संसद में उठाने वाले लोगों में बाबू विश्वनाथ गहमरी और सरजू पाण्डेय प्रमुख थे। उनके वेदना को महसूस कर तत्कालीन सरकार ने पटेल आयोग का गठन किया।सरजू पाण्डेय का रतनपुरा क्षेत्र से काफी लगाव था। यहां के लोगों के दुखों के निवारण हेतु वे हमेशा सक्रिय भूमिका में दिखाई देते थे ,उनकी बहुत सी यादें आज भी लोगों के मन-मस्तिष्क में छाई हुई हैं।देश के एकीकरण में उनका बहुमूल्य योगदान रहा है। रुस के मास्को में 25 अगस्त 1989 को इलाज के दौरान इनका देहावसान हो गया।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चीनी मिल घोसी के डायरेक्टर कामरेड शेख हिसामुद्दीन रहे। कार्यक्रम का संचालन कामरेड रामप्यारे गौतम ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश किसान सभा के जिला सचिव कामरेड गुफरान अहमद,ब्लाक मंत्री इसहाक मास्टर,कामरेड संतोष यादव मुन्ना, यशवंत यादव, नागेन्द्र सिंह, कांग्रेस पार्टी के नेता जयंत सिंह, कामरेड कामता यादव, रमाकांत राजभर, हरीन्द्र राजभर, मेल्हू राम,.उमा चौहान,भोरिक राजभर,भुवर राजभर, सुरेन्द्र राम,कमला राजभर,अतवारी देबी,नन्द विजय चौहान,रामदेनी सिंह,आदि मौजूद थे।