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ऊंचाई पर आकाश में जो दीप टांगा जाता है उसे आकाशदीप कहते हैं। वास्तव में आकाशदीप पितरों के लिए और अन्य पितर देवताओं के लिए टांगा जाता है।
यह दो प्रकार से कार्य करता है- १. जो पितर आकाश मार्ग से विभिन्न लोगों में भटक रहे हैं उनको प्रकाश दिखाता है और उनके मार्ग को प्रकाशित करता है और उनकी गति को तीव्र करता है उनके जीवन के बारे में भावनाओं को तृप्त करता है और १. दूसरे पर कार्य करने का अर्थ है कि आकाशदीप टांगने वाले व्यक्ति से उसके पितृ संतुष्ट हो जाते हैं कि मेरे पुत्र-पौत्र सब संपन्न और सुखी है फिर वह उनको आशीर्वाद देते हैं, शुभकामनाएं देते हैं और उनकी प्रगति के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। सार रूप में कहां जाए तो अतृप्त पितरों की तृप्ति के लिए, भटकते पितरों के मार्गदर्शन के लिए, स्वर्ग में सुखी संतुष्ट और पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, संसार के लोग अपने निवास से काफी ऊंचाई पर शून्य आकाश में आकाश दीप हटाने की व्यवस्था करते हैं। वह व्यक्ति शुभत्व को प्राप्त करता है, मान सम्मान प्राप्त करता है, इसलिए प्रतिवर्ष कार्तिक मास में प्रतिदिन आकाशदीप टांगने की व्यवस्था करें। आकाशदीप की व्यवस्था करने के लिए एक बड़ा बांस, जिसमें गरारी लगी हो, की व्यवस्था करनी होती है। बांस और गरारी उसी तरह लगानी चाहिए जैसे झंडा फहराने में लगी रहती है। जिस प्रकार डोर को बांधा जाता है,
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उसी प्रकार बांध देते हैं। दीपक रखने के लिए कन्दील या पिंजरेनुमा पात्र चाहिए फिर उसमें दीपक रखना चाहिए। उसमें हवा निकलने के झरोखे हो दीपक इतना बड़ा हो जिसमें 100 ग्राम तेल भरा जा सके, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि दीपक उतारने चढ़ाने में चाहिए और व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि दीपक रात भर जलता रहे। कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को सूर्यास्त के बाद छत पर दीपक पूजन की सारी व्यवस्था करें और पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन करें और आकाशदीप को डोरी से बांधकर
लटका दे कुछ देर से उठाकर दीपक के प्रकाश को देखते रहे और मन में सोचे कि यह आकाशदीप जो है वह स्वर्ग में स्थित मेरे पितरों तक प्रकाश पहुंचा रहा है। 30 दिनों तक निरंतर दीप की पूजा करें प्रार्थना करें और प्रार्थना करें हम आपके आभारी हैं कि आपने एक माह तक शीतल हवाओं से संघर्ष करते हुए हमारे लिए, हमारे पितरों के लिए प्रकाश की व्यवस्था की, हम आपको नमस्कार करते प्रणाम करते हैं और नित्य पूजा के बाद यह निवेदन करें कि आप सदैव हमें हमारे घर परिवार पूर्वजों को और आध्यात्मिक आर्थिक पद पर बढ़ने का मार्ग प्रकाश दिखाया आलोकित किया है, आज हम फिर से प्रार्थना कर रहे हैं कि हमारे पितरों को आलोक प्रदान करें, जिससे हमारे पितृ हम पर प्रसन्न होकर आशीर्वाद की वर्षा करें जिससे हमारा परिवार सुख संपन्न और समृद्धि होता रहे। ज्ञात हो कि पितरों की प्रसन्नता देवताओं की प्रसन्नता से की गुना अधिक लाभप्रदान करती है।
गरिमा सिंह अजमेर
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