देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) अधिकांश परीक्षा केंद्रों पर फर्स्ट एड मेडिकल किटका अभाव । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर प्रशासन की हठधर्मिता का खामियाजा 3 जनपदों के लाखों परीक्षार्थी भुगतने को विवश हैं ।भयंकर लू और तपन के बीच चल रही विश्वविद्यालय परीक्षाओं में अधिकांश परीक्षा केंद्रों पर भीषण गर्मी में परीक्षा देने को परीक्षार्थी विवस है। किसी सक्षम जांच एजेंसी से जांच कराई जाए तो भयंकर बिजली कटौती के बीच बिना हवा पानी के परीक्षा कक्ष में परीक्षार्थी बैठाए जा रहे है। यहां तक कि बहुतेरे परीक्षा केंद्रों पर तो स्वच्छ पेयजल का भी पूरी तरह अभाव है, ऐसे में ग्रीष्मावकाश में चल रही परीक्षाएं परीक्षार्थियों और परीक्षा व्यवस्था में जुड़े शिक्षको के लिए जानलेवा साबित हो सकती है ।इस समय दिन में तापमान 38 से 43 डिग्री तक प्रतिदिन रह रहा है। ऊपर से भयंकर लूं और तपन का प्रकोप अलग है। ऐसे में तीन मीटिंग परीक्षा कराकर विश्वविद्यालय प्रशासन परीक्षार्थियों और पर्यवेक्षकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है। 20 से 25 किलोमीटर तक बाइक और साइकिल चलाकर परीक्षा केंद्र पर पहुंचने वाले परीक्षार्थियों के लिए स्वच्छ पेयजल का अभाव एक नई मुसीबत बन गई है। अधिकांश महाविद्यालयों मे जनरेटर की व्यवस्था तो है लेकिन भीषण विजली कटौती के बीच भी वह जनरेटर हाथी का दांत साबित हो रहा है और परीक्षार्थी भीषण गर्मी और तपन के बीच परीक्षा कक्ष में बैठने को मजबूर है। यदि किसी सक्षम जांच एजेंसी से जांच कराई जाए तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आएगा की दो-तिहाई परीक्षा केंद्रों पर पेयजल का अभाव है। प्रशाधन केंद्र गंदगी से भरे पड़े हैं।छात्राओ के लिए इन प्रसाधन केन्द्रों मे जाना किसी त्रासदी से कम नही है। भयंकर बिजली कटौती के बीच भी जनरेटर चलता नहीं है ।यह स्थिति परीक्षार्थियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह संवेदनहीन बना हुआ है ।वर्तमान कुलपति कभी परीक्षा केंद्रों पर जाकर उनकी स्थिति का जायजा लेना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। अपने तो एसी कमरे में बैठते हैं और परीक्षार्थियों तथा परिप्रेक्षको को पंखे की हवा भी नसीब नहीं है। लेकिन लगातार परीक्षा कराए जा रहे हैं ।नयी शिक्षा नीति लागू होने के बाद परीक्षाओं के दौर में पठन-पाठन बुरी तरह दम तोड़ रहा है पूर्व के कुलपति कम-से-कम परीक्षाओं के दौरान परीक्षा केंद्रों पर दौरा कर लेते थे तो परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त हो जाया करती थी लेकिन वर्तमान कुलपति के समय में तो सचल दल का भी दौरा बंद हो गया है। कुलपति के दौरे की बात कौन करें। ऐसे में अधिकांश परीक्षा केंद्र अव्यवस्था के शिकार हो गए हैं। छात्र संघ है नहीं इसलिए छात्रों की आवाज भी गंभीरता से नहीं उठ पा रही है और परीक्षा प्रशासन से जुड़े हुए लोग परीक्षार्थियों की इस कमजोरी का बेजा लाभ उठाकर उन्हें परीक्षा कक्ष में बैठने को विवश कर रहे हैं।प्रायः सभी परीक्षा केंद्रों पर प्रतिदिन 3 से 4 परीक्षार्थी बेहोश होकर लुढ़क रहे हैं लेकिन फर्स्ट एड मेडिकल किट का भी अभाव देखा जा रहा है । यह सोचने की बात है।
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