पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) जिले के गौरीचक थाना क्षेत्र के बंडोह मोड़ के पास रविवार दोपहर बाद हुए भीषण सड़क हादसे ने दो परिवारों की खुशियां पलभर में छीन लीं। स्कूटी पर सवार दो किशोरों की मौत इतनी दर्दनाक थी कि देखने वालों की रूह कांप गई। हादसा इतना भयावह था कि दोनों के शव टैंकर के पहियों तले बुरी तरह कुचल गए और उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया।
मृतकों की पहचान पटना ट्रैफिक थाना में तैनात बाली गांव निवासी सिपाही सतीश कुमार के 17 वर्षीय पुत्र वैभव राज और जहानाबाद निवासी 18 वर्षीय सूरज कुमार (पिता – धनंजय शर्मा) के रूप में हुई। सूरज अपने मौसा रामप्रवेश सिंह के घर पटना में रहकर पढ़ाई करता था। दोनों किशोर आपस में घनिष्ठ मित्र थे और साथ में ही पढ़ने-लिखने जाते थे।
हादसे का मंजर
स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश के मौसम में मसौढ़ी की ओर से पटना आ रहा तेज रफ्तार टैंकर अचानक अनियंत्रित होकर विपरीत दिशा से आ रही स्कूटी में जोरदार टक्कर मार बैठा। टक्कर इतनी भीषण थी कि स्कूटी के परखच्चे उड़ गए और दोनों किशोर सीधे टैंकर के नीचे जा गिरे। चालक टक्कर मारने के बाद मौके से फरार हो गया।
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने वायरलेस संदेश के जरिए पूरे इलाके में नाकाबंदी की और आखिरकार गोपालपुर थाना पुलिस ने संपतचक क्षेत्र में टैंकर को पकड़ लिया। चालक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है।
मातम में बदली खुशियां
सबसे हृदयविदारक दृश्य तब सामने आया जब यह खबर वैभव के घर पहुंची। उसकी मां ने रविवार को बेटे की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए जितिया व्रत रखा था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था—जिस बेटे के लिए मां ने उपवास रखा था, उसी दिन वह हमेशा के लिए दुनिया छोड़ गया। हादसे की खबर मिलते ही मां बेहोश हो गईं।
पिता सतीश कुमार, जो पटना में ट्रैफिक पुलिस में तैनात हैं, रोते-बिलखते यही कहते रहे—
“वैभव अपने दोस्त सूरज के साथ कपड़ा खरीदने गया था। मुझे क्या पता था कि यह उसका आखिरी सफर होगा।”
वैभव अपने दो भाइयों में बड़ा था। घर का सहारा और उम्मीद था। इधर, सूरज के मौसा रामप्रवेश सिंह का दर्द भी किसी से छिपा नहीं रहा। वे बार-बार फूट-फूटकर यही सवाल पूछते रहे—
“हमारी गलती क्या थी कि भगवान ने दोनों को एक साथ छीन लिया?”
पूरे गांव में पसरा मातम
दोनों किशोरों की मौत की खबर जैसे ही उनके गांवों तक पहुंची, मातम छा गया। हर आंख नम हो गई, हर घर से सिसकियां उठने लगीं। लोगों ने कहा कि यह दुर्घटना न सिर्फ दो परिवारों को बल्कि पूरे गांव को उजाड़ गई।
रविवार की दोपहर जिसने दो घरों से हंसी-खुशी छीन ली, वह इस सवाल को छोड़ गई कि आखिर भगवान ने उस मां की क्यों नहीं सुनी, जिसने जितिया रखकर बेटे की लंबी उम्र की दुआ मांगी थी।
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