
पटना(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) बिहार की सियासत में इन दिनों हलचल तेज है। चुनाव आयोग ने राज्य के 15 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आदेश में साफ कहा गया है कि वे बताएं कि उन्हें पंजीकृत दलों की सूची से बाहर क्यों न कर दिया जाए। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) ने इन दलों को अपना पक्ष रखने का आखिरी मौका दिया है।
जानकारी के मुताबिक, इससे पहले ही बिहार के 17 राजनीतिक दलों का नाम आयोग की सूची से हटा दिया गया था और उनकी सभी सुविधाएं बंद कर दी गई थीं। यही कार्रवाई देशभर में 334 दलों पर भी की गई, जिसके चलते पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या 2854 से घटकर 2520 रह गई है।
यदि नोटिस प्राप्त करने वाले दल सही और संतोषजनक जवाब देने में नाकाम रहे, तो इन्हें भी सूची से बाहर कर दिया जाएगा। ऐसे में ये दल केवल कागजों तक सीमित रह जाएंगे। हालांकि, जिन दलों को आपत्ति है, वे 30 दिनों के भीतर चुनाव आयोग के समक्ष अपील कर सकते हैं।
नोटिस प्राप्त करने वाले दलों की सूची ,भारतीय बैकवर्ड पार्टी, पटना,भारतीय सुराज दल, पटना,भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक), पटना,भारतीय जनतंत्र सनातन दल, बक्सर,बिहार जनता पार्टी, सारण,देसी किसान पार्टी, गया,गांधी प्रकाश पार्टी, कैमूर,हमदर्दी जन संरक्षक समाजवादी विकास पार्टी (जन सेवक), बक्सर,क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, पटना,क्रांतिकारी विकास दल, पटना,लोक आवाज दल, पटना,लोकतांत्रिक समता दल, पटना,नेशनल जनता पार्टी (इंडियन), वैशाली,राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, पटना,राष्ट्रीय सर्वांदय पार्टी, पटना,सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी, पटना,व्यवसायी किसान एवं अल्पसंख्यक मोर्चा, जमुई
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव आयोग की यह सख्ती राजनीतिक दलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम है। वहीं, छोटे और निष्क्रिय दलों के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है।
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