महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। जब भी चुनाव आता है कार्यकर्ताओं का जोश उफान मारने लगता हैं। काफी संख्या में कार्यकर्ता अपने-अपने पार्टियों की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच में दिन रात एक किए रहते हैं। पार्टी के प्रति इनकी निष्ठा को देखकर माता -पिता भी इन्हे विजई भव का आशीर्वाद दे देते हैं। हालांकि इसमें से अधिकांश कार्यकर्ता ऐसे होते है जो बेरोजगारी के आलम में किसी न किसी पार्टी का झंडा थाम लेते है। फिर मतदाताओं को बताते है कि हमारी पार्टी की सरकार ने कितना रोजगार दिया हैं।
इस बार भी लोकसभा चुनाव में यह देखा जा सकता है कि अधिकांश कार्यकर्ता बेरोजगारी के आलम में राजनीतिक पार्टियों का झंडा ऊंचा कर रहे हैं और जनता को बता रहे हैं कि कौन सी पार्टी की सरकार कितना रोजगार दिया। चुनाव भी कार्यकर्ताओं का जमकर परीक्षा लेता है। सुबह उठ जाना और पार्टी की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच में पहुंच जाना। अधिकांश समय तो इन कार्यकर्ताओं को खाना तक खाने को फुरसत नहीं मिलता है। चाय की दुकानों पर चाय और और नमकीन खाकर ही दिन निकाल देना होता हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करना पार्टी के बड़े पदाधिकारियों से नजदीकी बनाना और प्रत्याशियों की नजरों के समाने हमेशा बने रहना अपने आप में ही एक बड़ी चुनौती रहती है। इस तरह एक बरोजगार युवक कब एक परिपक्व होकर देश हित की बातों और कामों में जुट जाता है उसे पता ही नही चलता हैं। अब इस कार्यकर्ता को खुद ही रोजगार की जरूरत नही क्योंकि अब वह अधिकारियों कर्मचारियों की पोस्टिंग और जनहित में थाने और पुलिस चौकी पर समय देने में इतना व्यस्त हो जाता है कि उसे खुद ही कुछ और बेरोजगार युवकों को ढूढना पड़ता है जो इनके साथ पार्टी का वह झंडा उठाकर चल सके। इन कार्यकर्ताओं के सामने एक और चुनौती होती है कि यदि वर्तमान पार्टी में सही पोजिशन न मिल पाए तो दूसरे पार्टी में पद ज्वाइन करने की। वैसे कार्यकर्ता भी काफी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते है। इनको पार्टी के कार्यों और सिद्धांतों से कोई फर्क नही पड़ता और इसके लिए वह काफी तर्क भी देते है। लेकिन यह तय है कि यह कार्यकर्ता जिस भी पार्टी का दामन थामेंगे उसकी सरकार को सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली सरकार बनाकर ही छोड़ते हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी इन कार्यकर्ताओं के समर्पण को गली- गली देखा जा सकता है।
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