डॉ हर्षिता ने सब्जीयों के बारे में दिया जानकारी
बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर के एम सिंह द्वारा बताया कि लगातार मौसम ठंडा होने पर किसान भाई अपनी फसल पशु बचाव हेतु पाला से नुकसान होने से रोकने के लिए खेत में हल्की हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए।
पश्चिम एवं उत्तर दिशा की तरफ टाट की पट्टी अथवा साड़ियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाने से पाले और शीतलहर से फसलों को बचाये। नर्सरी के पौधों एवं सब्जी वाली फसलों को लो कॉस्ट पॉली टनल में उगाना अच्छा रहता है या पॉलिथीन अथवा पुवाल से ढक देना चाहिए।
केला एवं पपीता 10 डिग्री सेंटीग्रेट से कम तापमान होने से ही उनकी वृद्धि प्रभावित होने लगती है, पौधे झुलसे हुए दिखाई देते हैं सल्फर पौधों में रोगरोधिता बढ़ाने और फसल को जल्दी पकाने में भी सहायक होता है। इसके बचाव के लिए सल्फर गंधक 10 किग्रा बेंटोनाईट सल्फर,सुल्फर डस्ट प्रति एकड़ के हिसाब से डालें या घुलनशील सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करने से पाले के असर को कम किया जा सकता है। डॉ सिंह ने पशुपालन संबन्धित सलाह मे बताया कि पशुओं को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाएं। नवजात पशु के बच्चों व बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरी या तिरपाल से ढक दें तथा सुबह धूप निकलने पर हटा दें। पशुओं को हरे चारे विशेषकर वरसीम के साथ भूसा मिलाकर खिलाएं। गृह वैज्ञानिक रेनू आर्य ने बताया कि अपनी त्वचा को नियमित रूप से तेल/क्रीम से मॉइस्चराइज़ करते रहे । पर्याप्त प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और पर्याप्त तरल पदार्थ,अधिमानतः गर्म तरल पदार्थ खाएं। बाहरी गतिविधियों से बचें या सीमित करें। गुनगुना पानी पिये और अपने शरीर को गर्म कपड़े से ढके। डॉ अरुण ने बताया कि हीटर का उपयोग करते समय वेंटिलेशन बनाए रखें जहरीले धुएं में सांस लेने से बचें।
डॉ हर्षिता ने बताया सरसों, गेहूं, चावल, आलू और मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फर गंधक का छिड़काव करने से रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है और पाले से बचाव के अलावा पौधे को सल्फर तत्व भी मिल जाता है।
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