गरीबी में बिक गयी एक बीघे जमीन
सम्पूर्ण इलाज से ठीक हुई टीबी
बहराइच(राष्ट्र की परम्परा)l टीबी रोग माइकोबैक्टीरियम नामक बैक्टीरिया से होने वाला एक संक्रमण हैं। इस बैक्टीरिया में बहुत ताकत होती है और इसे नष्ट करने में लंबा समय लगता है। टीबी रोग विशेषज्ञ व जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एमएल वर्मा के अनुसार समान्य तौर पर टीबी इलाज का पूरा कोर्स 6 से 9 महीनों तक चलता है। लेकिन किसी भी कारण से बीच में इलाज छोड़ देने से टीबी के बैक्टीरिया और अधिक ताकतवर हो जाते हैं और इलाज लंबा चलता है। कुछ ऐसा ही 47 वर्षीय गंगा देवी के साथ हुआ।
रिसिया ब्लॉक के नरसिंह डीहा निवासी गंगा देवी को कई हफ्तों से खांसी,बुखार के साथ लगातार वजन कम हो रहा था। सीएचसी रिसिया में बलगम की जांच में टीबी निकली और दो हफ्ते की दवाएं दी गयी। इससे आराम मिला लेकिन पति घर से बाहर थे इसलिए वह दोबारा अकेले अस्पताल नहीं गयी। करीब एक माह बाद अधिक समस्या होने पर गईं तो चिकित्सक ने बताया कि बीच में इलाज बंद करने से इन दवाओं का असर नहीं होगा। इसके लिए दोबारा सुबह का बलगम जाँचना होगा। जब यह बात पति साबित राम को पता चली तो उन्हें लगा कि सरकारी अस्पताल में इलाज के नाम पर सिर्फ दौड़ाते रहते हैं। इसलिए उन्होंने मजदूरी से वापस आने पर प्राइवेट चिकित्सक से इलाज कराने का निर्णय लिया।
साबित राम ने बताया कि प्राइवेट चिकित्सक के यहां महंगे इलाज की वजह से कर्ज इतना बढ़ गया कि एक बीघे जमीन बेचनी पड़ी। पैसों के अभाव में बीच-बीच में इलाज भी बंद रहा और पत्नी की तबीयत पहले से ज्यादा खराब होने लगी। इस बीच टीबी चैंपियन अनामिका का फोन आया । सारी बात जानने के बाद उन्होंने पुनः सरकारी अस्पताल में इलाज करने के लिए समझाया और बताया कि यहां मिलने वाली टीबी की दवाएं बहुत कारगर हैं। उन्हें भी टीबी थी और इसी अस्पताल से दवाओं का पूरा कोर्स कर ठीक हो चुकी हैं।
रिसिया टीबी यूनिट के एसटीएस मोइन ने बताया कि इलाज बीच में छोड़ देने से गंगा देवी की टीबी दवा प्रतिरोधी हो गयी थी इसलिए उन्हें अधिक पावर की दवाएं दी गईं। इलाज का पूरा कोर्स करने से आज वह पूरी तरह टीबी बीमारी से मुक्त हैं। इस दौरान उन्हें सरकार की निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए भी पौष्टिक आहार सेवन करने के लिए दिये गए।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एमएल वर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष इलाज का पूरा कोर्स कर 6778 मरीज टीबी रोग से मुक्त हो चुके हैं। वर्तमान में जनपद में 8810 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। सभी मरीजों के परिवारजनों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि चिकित्सक की सलाह के बिना बीच में इलाज बंद न हो। यदि कोई मरीज अस्पताल से दवा लेने में असमर्थ है तो इसके लिए परिवार के किसी सदस्य को दवा प्रदाता बनाया जा सकता है।
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