जिले में हड़कंप, अपने-अपने क्षेत्र में पराली जलाने की घटना को रोकने के लिए दौड़े लेखपाल
10 किसानों को जेल, 28 पर एफआईआर
सदर लेखपाल विपिन कुमार व जनक राज तथा नौतनवा तहसील के अरविंद यादव को डीएम ने किया निलंबित
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। जिलाधिकारी अनुनय झा द्वारा पराली जलाने की घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए कड़ा कदम उठाते हुए तीन लेखपालों को निलंबित कर दिया गया है।
जिलाधिकारी द्वारा पूर्व में निर्देशित किया गया था कि जनपद में पराली जलाने की घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोका जाए। ऐसा नहीं होने पर उनके द्वारा जवाबदेही तय करते हुए कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। इसी क्रम में उन्होंने सदर तहसील में लेखपाल विपिन कुमार व जनक राज और नौतनवा तहसील में लेखपाल अरविंद यादव को लापरवाही बरतने के कारण निलंबित कर दिया है। निलंबन के उपरांत विभाग में हड़कंप मच गया और लेखपाल अपने-अपने क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए दौड़ पड़े।
उन्होंने मौके पर पराली जलते हुए पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध भी कठोर कदम उठाने का निर्देश दिया। इसके उपरांत विभिन्न तहसीलों में संबंधित एसडीएम द्वारा पराली जलाने वाले किसानों के विरुद्ध भी कार्यवाही की गई। इस क्रम में छोटेलाल निवासी गुरतिहा, नियामुद्दीन निवासी एकसाड़वा, बांकेलाल निवासी बरगदवा सहित 10 से अधिक किसानों को मौके से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन द्वारा 28 मामलों में एफआईआर दर्ज कराई गई और एक लाख से अधिक रुपए का जुर्माना वसूल किया गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि पराली जलाने के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश है और शासन द्वारा भी इस विषय में समय-समय पर विभिन्न निर्देश निर्गत किए गए हैं। साथ ही जिला प्रशासन ने भी जागरूकता अभियानों और विभिन्न माध्यमों से लगातार पराली न जलाने का अनुरोध किया है। प्रशासन ने पराली को गौशालाओं तक पहुंचाने का प्रबंध भी किया है। बावजूद इसके अनेक लोगों द्वारा पराली जलाकर कानून का स्पष्ट उल्लंघन किया जा रहा है और पर्यावरण को प्रदूषित किया जा रहा है। जिसके कारण जिला प्रशासन को बाध्य होकर कठोर कार्यवाही करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन पुनः अनुरोध कर रहा है कि किसान पराली ना जलाएं। इससे जनपद की छवि धूमिल हो रही है और पर्यावरणीय नुकसान भी हो रहा है। पराली जलाने से प्रदूषण के साथ-साथ किसान मित्र जीवों की भी मौत होती है।
उन्होंने कहा कि किस पराली जलाने के बजाय उसे खेत की मेड़ पर या किसी सार्वजनिक स्थल पर इकट्ठा कर दें किस ग्राम प्रधान के माध्यम से परली को गौशालाओं में भिजवा सकते हैं। इसके अतिरिक्त कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे डिकंपोजर के माध्यम से पराली का निस्तारण खेत में ही कर सकते हैं। लेकिन पराली जलाना किसी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा। संबंधित लेखपालों सहित अन्य लोगों के जवाबदेही तय करने के साथ-साथ दोषी किसानों के विरुद्ध भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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