
(घनश्याम तिवारी की रिपोर्ट)
बलिया (राष्ट्र की परम्परा) बलिया जनपद में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के नागरिकों को न्याय दिलाने की दिशा में प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने गोंड जाति के प्रमाण पत्र से संबंधित शिकायतों पर गंभीरता से विचार किया और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए।
बैठक में अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय गोंड विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने जिलाधिकारी के समक्ष यह मुद्दा उठाया कि गोंड जाति से संबंधित कई प्रमाण पत्रों के आवेदन बिना किसी ठोस कारण के निरस्त कर दिए जा रहे हैं। यह भी कहा गया कि कई आवेदकों को बिना व्यक्तिगत संवाद के प्रमाण पत्र से वंचित कर दिया जा रहा है।
इस पर डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने सभी तहसीलदारों को निर्देशित किया कि कोई भी आवेदन बिना वाजिब कारण और उचित सुनवाई के खारिज न किया जाए। उन्होंने कहा, “हर आवेदक से व्यक्तिगत संवाद करना अनिवार्य होगा। बिना प्रमाणिक जांच और उचित प्रक्रिया के कोई निर्णय न लें।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रमाण पत्र निर्गत करने से पहले खतौनी, पुरानी राजस्व रसीदें या अन्य पारंपरिक दस्तावेजों का गहन परीक्षण किया जाए। यदि आवेदक की जाति की पुष्टि प्रमाणीकर्ता द्वारा कर दी जाती है, तो प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी पात्र व्यक्ति प्रशासनिक लापरवाही के चलते जाति प्रमाण पत्र से वंचित न रह जाए।
बैठक में सीआरओ त्रिभुवन सिंह, सभी तहसीलदार, जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा, समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
यह निर्णय गोंड समाज के लिए एक राहत की खबर है और प्रशासन की जवाबदेही व पारदर्शिता की दिशा में सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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