
बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
श्रीकृष्ण इंटर कॉलेज आश्रम बरहज के प्रांगण में चल रहे श्री राम कथा के छठे दिन आचार्य धीरज कृष्ण महाराज ने भगवान के वन गमन की कथा सुनाते हुए कहा, राम के राज्याभिषेक सुनकर दासी मंथरा ने महारानी कैकेयी को 100 कथाएं सुनाई जो अवध राज्य और राजा दशरथ के परिवार के विरोध में था, जिसमे प्रभु श्रीराम के लिए वनवास व भरत के लिए राजगद्दी,वरदान स्वरूप मांगी गई थी चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ से। आगे आचार्य धीरज कृष्ण महाराज ने केवट प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान ने केवट से नाव मांगी,जिसको गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने मानस में लिखा हैं की, मांगी नाव न केवट आना, कहही तुम्हार मरम मैं जाना । केवट की इच्छा थी की प्रभु का चरण धोकर कर अपने जीवन को धन्य बना ले। कथा के छठे दिन मुख्य यजमान के रूप में नगर पालिका अध्यक्ष श्वेता जायसवाल, श्याम सुंदर जायसवाल समाजसेवी, डॉ अमित राय व ध्रुवधर द्विवेदी रहे। कथा श्रवण करने के दौरान डॉक्टर किरण पाठक ,प्यारे मोहन सोनी, गिरिजा देवी, सुजीत सोनी, रवि सोनी, हरिशंकर पांडेय ,सविता पांडेय, रतन वर्मा, ओमप्रकाश दुबे, कृष्ण मुरारी तिवारी, गिरीश मिश्रा, अंचल पाठक, विनय कुमार मिश्रा ,अनमोल मिश्रा ,अरविंद रावत, नागेंद्र मिश्रा, राघवेंद्र शुक्ला, लक्ष्मी शंकर शुक्ला, रमेश बारी ,पूनम देवी, शैलेंद्र जायसवाल ,उमा जयसवाल, राम श्रृंगार पांडेय लक्ष्मी दीक्षित ,प्रभु नाथ शर्मा , हेमलता शर्मा ,सहित अनेक श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
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