पुतिन के दो दिवसीय भारत दौरे से मजबूत होंगे रक्षा, ऊर्जा और व्यापारिक रिश्ते
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रस्तावित भारत दौरे को लेकर दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आयोजित 23वें इंडिया–रशिया एनुअल समिट से दोनों देशों के बीच रणनीतिक, रक्षा और ऊर्जा सहयोग को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। यह यात्रा कई वर्षों के अंतराल के बाद हो रही है, जिससे वैश्विक मंच पर भारत-रूस रिश्तों को नई मजबूती मिलने की संभावना जताई जा रही है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन, आधुनिक तकनीक के आदान-प्रदान, और मल्टी-पोलर वर्ल्ड ऑर्डर के तहत द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने पर चर्चा होगी। इसके साथ ही, छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर (Small Modular Reactors – SMR) के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं भी प्रमुख एजेंडे में शामिल हैं। इससे भारत की स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा योजना को गति मिल सकती है।
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बाहरी आर्थिक दबावों और वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत और रूस के द्विपक्षीय व्यापार को सुरक्षित एवं स्थिर रखने के तरीकों पर भी विस्तार से वार्ता संभावित है। दोनों देश वैकल्पिक व्यापार मार्गों और भुगतान प्रणालियों पर विचार कर सकते हैं, ताकि भविष्य में किसी भी वैश्विक प्रतिबंध का प्रतिकूल असर न पड़े।
सुरक्षा के लिहाज से राजधानी में बहु-स्तरीय इंतजाम किए गए हैं। 5,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती, स्वैट टीमों की मौजूदगी, ड्रोन रोधी प्रणाली और आधुनिक सीसीटीवी नेटवर्क के जरिए पूरे क्षेत्र को निगरानी में रखा गया है। दिल्ली पुलिस, केंद्रीय एजेंसियों और रूसी सुरक्षा अधिकारियों के बीच मिनट-दर-मिनट समन्वय जारी है। खास मार्गों पर अतिरिक्त बैरिकेडिंग, स्नाइपर तैनाती और त्वरित प्रतिक्रिया दल की व्यवस्था की गई है।
यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस समय-समय पर ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी कर रही है। शहर के प्रमुख स्थानों, सरकारी भवनों और रणनीतिक क्षेत्रों पर विशेष नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी संभावित खतरे को पहले ही रोका जा सके।
कुल मिलाकर, यह दौरा केवल एक कूटनीतिक मुलाकात नहीं, बल्कि भारत-रूस संबंधों के भविष्य की दिशा तय करने वाला महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल के बीच यह समिट दोनों देशों के लिए रणनीतिक स्थिरता और आर्थिक सहयोग का मजबूत आधार बन सकता है।
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