July 12, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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कालाजार उन्मूलन की मुहिम में जुटी “साइकिल वाली दीदी” पिंकी चौहान

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। गर्मियों की छुट्टियों के बाद स्कूलों के खुलते ही कालाजार चैम्पियन पिंकी चौहान ने फिर से अपनी मुहिम तेज कर दी है। 1 जुलाई से ही वे स्कूली बच्चों को कालाजार से बचाव की जानकारी देने में जुट गई हैं। पिंकी अब “साइकिल वाली दीदी” के नाम से जानी जाती हैं, क्योंकि वे साइकिल से स्कूलों और गांवों में जाकर अपनी “पाठशाला” चला रही हैं।

पिंकी की यह पाठशाला किसी भी स्कूल में, किसी भी कक्षा में शुरू हो जाती है। ब्लैकबोर्ड पर बालू मक्खी की तस्वीर बनाकर वे बच्चों को बताती हैं कि यही मख्खी कालाजार फैलाती है। वह अपने अनुभवों के जरिए बच्चों को बीमारी की गंभीरता समझाती हैं और बताती हैं कि कैसे जागरूक रहकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।

कालाजार सर्वाइवर हैं पिंकी
वर्ष 2015 में जब पिंकी केवल 12 साल की थीं, उन्हें कालाजार हुआ था। इलाज के बाद वह ठीक हो गईं, लेकिन एक साल बाद फिर से इस बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया। इस बार पोस्ट-कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (PKDL) के रूप में संक्रमण हुआ, जिससे उनकी त्वचा प्रभावित हुई। उस दौर की पीड़ा को आज भी वे भूल नहीं पाई हैं। अब वह उसी दर्द को ताकत बनाकर गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं।

चार वर्षों से लगातार जागरूकता अभियान
बनकटा ब्लॉक के नियरवा गांव की रहने वाली पिंकी पिछले चार वर्षों से कालाजार के खिलाफ सक्रिय हैं। जिला मलेरिया अधिकारी सीपी मिश्रा के अनुसार, बनकटा ब्लॉक के आठ गांव कालाजार प्रभावित हैं। पिंकी इन गांवों में समुदाय के लोगों व विद्यालयों के बच्चों को लगातार जागरूक कर रही हैं।

वे न केवल जागरूकता अभियान चला रही हैं, बल्कि कालाजार उन्मूलन के लिए हर वर्ष चलने वाले इनडोर रेसिडुअल स्प्रे (IRS) अभियान में भी ग्रामीणों को छिड़काव के लिए प्रेरित करती हैं और छिड़काव टीम का भरपूर सहयोग करती हैं।

समाज को दे रहीं प्रेरणा
पिंकी चौहान का प्रयास न केवल एक बीमारी के खिलाफ लड़ाई है, बल्कि यह सामाजिक चेतना और स्वास्थ अधिकारों की ओर एक मजबूत कदम भी है। उनका संकल्प है कि उनके गांव और आसपास के क्षेत्र कालाजार से पूरी तरह मुक्त हो जाएं।

अब वह न केवल कालाजार सर्वाइवर हैं, बल्कि समाज को इस बीमारी से बचाने वाली सच्ची योद्धा बन गई हैं।