✍️ कैलाश सिंह
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। संस्कार समाज की आत्मा होते हैं। यही वे मूल्य हैं जो पीढ़ियों को जोड़ते, आचरण को दिशा देते और मनुष्य को मनुष्य बनाते हैं। लेकिन आज इन्हीं संस्कारों का सबसे बड़ा दुश्मन बनकर खड़ी है—रूढ़िवादिता। विडंबना यह है कि रूढ़िवादिता को अक्सर संस्कारों की ढाल पहना कर प्रस्तुत किया जाता है, जबकि सच्चाई ठीक इसके उलटा है। रूढ़िवादिता वह जड़ता है जो सोच को बांध देती है। सवाल करना, तर्क करना और समय के साथ बदलाव स्वीकार करना जब परंपरा के खिलाफ मान लिया जाता है, तब संस्कार धीरे-धीरे घुटने लगते हैं।
समाज में कई कुप्रथाएं आज भी केवल इसलिए जीवित हैं, क्योंकि उन्हें संस्कार का नाम दे दिया गया है—चाहे वह स्त्री की आजादी पर पाबंदी हो, जातिगत भेदभाव हो या पीढ़ियों से चले आ रहे अन्याय पूर्ण नियम।
संस्कार सिखाते हैं सम्मान, करुणा, न्याय और समानता। वे मनुष्य को संवेदनशील और जिम्मेदार बनाते हैं इसके विपरीत रूढ़िवादिता डर पैदा करती है—बदलाव का डर, सवालों का डर और भविष्य का डर। जब डर संस्कारों की जगह ले लेता है, तब समाज नैतिक रूप से कमजोर होने लगता है।
आज का युवा इस द्वंद्व को सबसे अधिक महसूस कर रहा है। एक ओर उससे आधुनिक सोच, शिक्षा और प्रतिस्पर्धा की अपेक्षा की जाती है, तो दूसरी ओर रूढ़िवादी बेड़ियों में उसे जकड़कर रखने की कोशिश होती है। परिणामस्वरूप युवा या तो विद्रोही हो जाता है या भीतर ही भीतर टूट जाता है। दोनों स्थितियां समाज के लिए घातक हैं।
ये भी पढ़ें – सामाजिक असमानता पर रिपोर्ट: अंधेरी रातों में आम जनता का संघर्ष, उजालों पर खास लोगों का कब्ज़ा
सबसे चिंताजनक स्थिति तब होती है जब रूढ़िवादिता के खिलाफ बोलने वालों को संस्कारहीन करार दे दिया जाता है। इससे संवाद की गुंजाइश समाप्त हो जाती है,और समाज सुधार की प्रक्रिया रुक जाती है। इतिहास गवाह है कि हर प्रगति संघर्ष के बाद ही संभव हुई है, और हर सुधार को पहले परंपरा- विरोधी कहा गया है।
जरूरत इस बात की है कि संस्कार और रूढ़िवादिता के बीच स्पष्ट अंतर किया जाए। संस्कार जीवित और समय-सापेक्ष होते हैं, जबकि रूढ़िवादिता जड़ और परिवर्तन -विरोधी। अगर समाज को आगे बढ़ना है तो संस्कारों को रूढ़ियों की जकड़न से मुक्त करना होगा।संस्कार तब तक जीवित रहेंगे, जब तक वे मानव मूल्यों की रक्षा करते रहेंगे। वरना रूढ़िवादिता की गिरफ्त में फंसे संस्कार दम तोड़ते रहेंगे—और उनके साथ समाज की संवेदनशीलता भी।
ये भी पढ़ें – Atal Pension Yojana Eligibility: किस उम्र में मिलती है पेंशन का हक? जानें पूरी पात्रता और निवेश नियम
नवनीत मिश्र भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ ऐसे नेता आए हैं, जिनका व्यक्तित्व और…
कुशीनगर (राष्ट्र की परम्परा)जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर की अध्यक्षता में स्वास्थ्य समिति शासी निकाय की…
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम और यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के उद्देश्य…
कुशीनगर (राष्ट्र की परम्परा)क्रीड़ा अधिकारी रवि कुमार निषाद ने बताया कि सांसद खेल स्पर्धा-2025 का…
206 लीटर अवैध शराब व फर्जी नंबर प्लेट बरामद देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) जनपद में…
बस्ती (राष्ट्र की परम्परा) देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी…