November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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बड़े लक्ष्य की पूर्ति के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य को पूर्ण करें : प्रो. विवेक गुरु

भारत तिब्बत समन्वय संघ की दो दिवसीय बैठक संपन्न प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर नए पदाधिकारियों को मिले प्रभार

मैहर/सतना (राष्ट्र की परम्परा)। भारत तिब्बत समन्वय संघ के उद्देश्य में हिंदुत्व को जीवित रखने वाले लोगों के त्याग और बलिदान की नई खुशबू आ रही है। भगवान शंकर की इच्छा से हम सब कार्य कर रहे हैं। देश की आजादी में अनेक नायक और नायिकाओं ने अपनी आहुति दी है। लेकिन अंग्रेजों के द्वारा गठित कांग्रेस का इतिहास ही हमको पढ़ाया गया है। जबकि आजादी के इतिहास मैं किसी कांग्रेसी नेताओं को फांसी नहीं हुई और ना ही कोई नेता आंदोलन और यातनाओ में मरा है। आजाद भारत की सरकारों ने हमारा धर्म और इतिहास छुपाया है। आजादी के परवानों के त्याग की कल्पना मात्र से ही हमारी रूह कांप उठती है। कांग्रेस के दो नेताओं ने अंग्रेजी हुकूमत से सांठगांठ कर देश में काम किया है। चीन भारत के आजादी के बाद 1948 में स्वतंत्र हुआ। 1949 को चीन ने तिब्बत पर हमला किया और 1951 मे तिब्बत पर कब्जा किया। इसके पहले कभी भी भारत और चीन की बॉर्डर नहीं मिली। तिब्बत हमेशा बफर जोन रहा है। तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद आज हमारी सीमाओं में अतिक्रमण करने का प्रयास चीन कर रहा है। भारत तिब्बत समन्वय संघ बाबा भोलेनाथ के मूल गांव कैलाश मानसरोवर की दुष्ट चीन से मुक्ति और तिब्बत की आजादी के पवित्र उद्देश्यों को लेकर बना है। आज तिब्बत का मुद्दा देश में मृतप्राय है। हम सभी को मिलकर स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच में भी इस मुद्दे को ले जाना है और जन जागरण का काम करना है। हमारे छोटे छोटे कार्यों की निरंतरता ही आने वाले वर्षों में एक विशाल जन आंदोलन खड़ा करेगी। हम सभी सप्ताह में या दिन में 1 घंटे भी निरंतर देंगे तो इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में हमारा नाम दर्ज होगा। हम सभी को तिब्बतियों के शोषण और भारत की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को पूर्ण आत्मविश्वास के साथ लोगों के बीच ले आना है। जब आपके शब्द आपकी बॉडी लैंग्वेज से मिलेंगे, उस दिन समाज में आपका प्रभाव बढ़ता जाएगा। भारत हमेशा ही तिब्बत का गुरु भाई रहा है और इस बात को तिब्बती मानते हैं। चीन के अत्याचार के खिलाफ अनेक तिब्बतियों ने अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। हम सभी को इस मशाल को जलाए रखना है। हम नियमित रूप से भारत में मनाने वाले त्यौहारों और पर्वों के साथ अपने संकल्प को दोहराएंगे और यह कार्यों की निरंतरता ही समाज में क्रांति लाएगी। छोटे-छोटे लक्ष्य को पूर्ण कर हम बड़े लक्ष्य की प्राप्ति करेंगे।
उक्त विचार प्रोफेसर विवेक गुरु ने भारत तिब्बत समन्वय संघ के समापन अवसर पर कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हुए व्यक्त किए।

5 प्रस्ताव हुए पारित :
भारत तिब्बत समन्वय संघ की दो दिवसीय बैठक में देश के विभिन्न प्रदेशों से प्रतिनिधि आए उन्होंने देश की वर्तमान स्थिति भारत और तिब्बत के विषय में चर्चा करते हुए 5 प्रस्ताव पारित किए। बैठक के समापन अवसर पर प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर नए पदाधिकारियों की घोषणा की गई। सत्र का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान ने किया। बैठक में आए हुए पदाधिकारियों को बीटीएसएस की राष्ट्रीय महामंत्री सुश्री राजो मालवीय, राष्ट्रीय मंत्री प्रकाश चंद्र पारखी, क्षेत्रीय अध्यक्ष भागीरथ कुमरावत, उपाध्यक्ष डॉ राजेश जायसवाल, महामंत्री वेद प्रकाश पटवा, महामंत्री बसंत जायसवाल ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। आयोजन समिति के सचिव एवं छत्तीसगढ़ प्रांत के अध्यक्ष कौन्तेय जायसवाल ने आभार व्यक्त किया।

सुदृढ़ संघ निर्माण के लिए नई नियुक्तियों ने चौंकाया:
देश में तेजी से बढ़ते इस संगठन ने परिस्थितियों के अनुरूप अपने को ढाल कर मजबूत किया है। इस बार सनातनियों को देश मे मजबूत करने की दिशा में भी विचार हुआ ताकि भोले नाथ के मूल स्थान की मुक्ति में मार्ग में बाधा न आए। इसलिए घर वापसी करने वाले कार्य में भी ध्यान दिया जाए, इसके लिए गृह प्रत्यावर्तन प्रभाग की शुरुआत की गई है और उसका राष्ट्रीय प्रभारी जितेंद्र नारायण सिंह को बनाया गया है, जो पहले वसीम रिजवी थे और इस्लाम को त्याग कर हिंदू बने हैं। इस्लाम की कट्टरता के खिलाफ पुस्तक लिख कर, कुरान की कुछ जेहादी आयतों को हटाने को ले कर सुप्रीम कोर्ट तक जाने वाले जितेंद्र नारायण (पूर्व नाम वसीम रिजवी) अब भारत तिब्बत समन्वय संघ के लिए काम करेंगे। इसी तरह, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और प्रांत स्तर पर भी दर्जनों नियुक्तियां हुई।