
बच्चे सशक्त राष्ट्र की सुदृढ़ नींव- अरविन्द पुष्कर
आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
विश्व बालश्रम निषेध दिवस यानी बाल मजदूरी मनाही दिवस कहते हैं। विश्व बालश्रम निषेध दिवस को अंग्रेजी में ‘वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’ कहा जाता हैं। यह दिवस हर साल 12 जून को बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
एड. अरविन्द कुमार पुष्कर ने इस संदर्भ में बताया कि आइए हम सब मिलकर आज, विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर संकल्प लें कि बच्चों के शिक्षा के अधिकार का संरक्षण करते हुए उन्हें बाल श्रम से मुक्त रखेंगे। क्योंकि बच्चे सशक्त राष्ट्र की सुदृढ़ नींव हैं। बाल श्रम अमानवीय एवं दंडनीय कृत्य है, इसके प्रति स्वयं के साथ-साथ समाज को भी जागरूक करें। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व में तकरीबन 35 करोड़ बाल श्रमिक हैं। यह एक आश्चर्यचकित करने वाले आकड़े है। जिसे हम सभी आम नागरिक को ध्यान होगा और इस आकड़े को काम करने के लिए हमे हर संभव प्रयास करना होगा। बालश्रम एक अपराध है,जो बच्चों के द्वारा अपने बाल्यकाल में करवाया गया श्रम या काम है। बालश्रम को बाल मजदूरी भी कहा जाता है। बालश्रम कराना भारत के साथ कई देशों में गैर कानूनी है। बालश्रम एक कठोर अपराध है, जिसे बच्चों को खेलने-कूदने के उम्र में उनसे काम करवाया जाता है। बालश्रम एक अभिशाप है, जिसने अपना जाल पूरे देश में बिछा दिया है। प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी यह अपना प्रचंड रूप लेने में सफलता प्राप्त कर रहा है। किसी भी बच्चे के बाल उम्र के दौरान पैसों या अन्य किसी भी लोभ के बदले में करवाया गया किसी भी तरह के काम को बालश्रम कहा जाता है। इस प्रकार की मजदूरी पर अधिकतर पैसों या जरूरतों के बदले काम कराया जाता है। भारत की केंद्र सरकार ने 1986 में ‘बालश्रम निषेध और नियमन अधिनियम’ पारित कर दिया। इस अधिनियम के अनुसार बालश्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई। इस समिति की सिफारिश के अनुसार, खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति निषिद्ध है। बालश्रम की समस्या का समाधान एवं प्रत्येक बच्चे को उसका अधिकार पहुंचाना यह दिवस का उद्देश्य है।
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