हमर मन के गली-खोर म हवय डेरा।
माँगे बर आए हवन तुंहर घर छेरछेरा।।
धान ह धरागे, पुस पुन्नी के दिन आगे।
टूरी-टूरा मन सुआ अउ डंडा नाच नाचे।।
हम लइका-पिचका मन घेरे हवन घेरा।
माँगे बर आए हवन तुंहर घर छेरछेरा।।
कोनों धरे हन बोरी, कोनों मन चुरकी।
कोनों धरे हन झोला, कोनों मन अंगौछी।।
छबाए कोठी के धान ल झटकुन हेरा।
माँगे बर आए हवन तुंहर घर छेरछेरा।।
एक पसर देदे या देदे सूपा म भरके।
कहूँ खोंची म देबे, लेलेबो हमन लरके।।
दूसर दूवारी जाना हे, होगे अबड़ बेरा।
माँगे बर आए हवन तुंहर घर छेरछेरा।।
कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़
जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई
बिहार आंगनवाड़ी केंद्र पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों की…
गोंदिया-वैश्विक स्तरपर भारत ने 2 सितंबर 2025 को सेमीकंडक्टर इंडिया कॉन्फ्रेंस का ऐतिहासिक उद्घाटन करके…
“आर्थिक उन्नति और तरक्की का दिन, पर धैर्य से बढ़ेगी सफलता” आज कई राशियों के…
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) आउटसोर्सिंग कर्मियों की समस्याओं के समाधान और उन्हें समय से…
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम सभा कटहरा निवासी पप्पू साहनी की 14…
देवरिया, (राष्ट्र की परम्परा)जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव…