भगवान शिव के मूलस्थान कैलाश की मुक्ति में आगे आएं योगी जी: बीटीएसएस
बीटीएसएस की “तप” 2023 में 7-8 अक्टूबर को संत कबीर नगर में जुटेंगे देश भर के दिग्गज
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। भारत तिब्बत समन्वय संघ देश का सबसे बड़ा संगठन है। जो तिब्बत और तिब्बतियों की भलाई के साथ-साथ भारत के हितों की सुरक्षा की गारंटी देने के लिए कार्य करने हेतु स्थापित किया गया है। देश के लोगों को तिब्बत की भूमि से अपनापन और लगाव बनाने और बढ़ाने के पीछे जो कारण है। वह स्पष्ट है कि हम अखंड भारत के पुनर्गठन में लगे हुए वे लोग हैं, जो तिब्बत को स्वतंत्र कराने के साथ-साथ भारत के सबसे बड़े शत्रु चीन से सुरक्षा के लिए अनवरत जन जागरण का कार्य कर रहे हैं।
उक्त विचार बीटीएसएस के प्रांतीय संरक्षक रामजन्म सिंह ने शहर के रेस्टोरेंट मे आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि 1962 के चीन आक्रमण के बाद से हम सनातनी लोग कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए भी चीन द्वारा सताए जा रहे हैं। कैलाश मानसरोवर पर्वत अब चीन के चंगुल में है, वह देवों के देव महादेव का अपना मूल निवास स्थान है। यही वह पर्वत है जहां साक्षात शिव परिवार रहता है, यही पर्वत है जो गणेश और कार्तिकेय की जन्मस्थली है।
श्री सिंह ने कहा कि गोरखपुर वह स्थली है, जहां से श्री राम जन्मभूमि मुक्ति के आंदोलन का नेतृत्व गोरक्ष पीठाधीश्वर ब्रम्हलीन मंहत दिग्विजय नाथ जी एवं उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ जी ने किया था और सफलता तक पहुंचाया। अब जनमानस की भावना को देखकर संघ भी कैलाश मानसरोवर को चीन के चंगुल से मुक्ति में श्री गोरक्षनाथ पीठ की भूमिका प्रत्यक्ष हो और उसकी अगुवाई हिंदू हृदय सम्राट योगी आदित्यनाथ जी करें। शिव के इस काम में गोरक्षनाथ पीठ को ही आगे आना होगा।
राष्ट्रीय महामंत्री रामकुमार सिंह ने कहा कि संघ तिब्बत चीन भारत के संबंधों पर मंथन के लिए आगामी 7 व 8 अक्टूबर को गोरक्ष प्रांत अंतर्गत जनपद संत कबीर नगर में राष्ट्रीय कोर परिषद बैठक अर्थात "तप- 2023" बैठक होने जा रही है।
उन्होंने बताया कि संघ की वर्ष में चार प्रमुख बैठकें होती हैं, जप बैठक, चिंतन बैठक, तप बैठक, और मंथन बैठक। इस बैठक में संत कबीर नगर के सोनी इंटरनेशनल होटल में राष्ट्रीय स्तर के चुनिंदा लोगों के रहने की संभावना है। जिसमें आगामी रणनीति पर गंभीरतापूर्ण विचार कर महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए जाने की उम्मीद है और पूर्व में पारित 25 प्रस्तावों की समीक्षा भी होगी।
बैठक में राष्ट्रीय स्तर के अधिकारियों में रॉ के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी नरेश कुमार सूद, तिब्बत क्षेत्र के भूगर्भीय मामलों के जानकार डॉ. सूरज कुमार पारचा, इग्नू की प्रो वीसी प्रो. सुमित्रा कुकरेती, युवा नेता व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सुपुत्र नीरज सिंह, श्रीराम जन्मभूमि स्थल को हिंदुओं को दिए जाने के लिए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन का दावा कोर्ट में वापस लेने वाले वसीम रिजवी अब जितेंद्र नारायण सिंह हैं आदि अलग-अलग क्षेत्र के विद्वान लोगों के साथ पूर्व सैन्य अधिकारीगण, तिब्बती मूल के प्रमुख प्रतिनिधि आदि को आमंत्रित किया गया है।
महिला विभाग की राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. सोनी सिंह ने कहा कि चीनी लद्दाख क्षेत्र में तिब्बती व बुद्धिष्ठ लोगों के व्यवसाय को षड्यंत्र करके हड़पते जा रहे और उनकी लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बना रहे हैं। अंकुश न लगने से लद्दाख में तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव आने का खतरा बढ़ता दिख रहा है, इससे तिब्बती व बुद्धिष्ठ समाज की जनसंख्या भी प्रभावित हो रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा का भी खतरा बढ़ रहा है। भारत तिब्बत समन्वय संघ की दृष्टि इस समस्या पर भी है और इस पर भी विचार होगा।
मुख्य प्रांतीय संयोजक अरविंद चौधरी ने कहा कि तिब्बत की पूर्ण स्वतंत्रता के हिमायती संघ का मानना है कि तिब्बत की लगभग 3 हजार 5 सौ किलोमीटर सीमा रेखा से चीन की सेना हट के वापस अपनी हद में जाए। तिब्बत पूरी तौर पर स्वतंत्र हो, न कि तिब्बत को स्वायत्तता का झुनझुना पकड़ाया जाए।
उन्होंने गोरखपुर क्षेत्र से सीधे सटे हुए नेपाल में बढ़ते चीन के प्रभुत्व से आसन्न खतरों पर भी हम ध्यान दिलाने के लिए काम करेंगे। बैठक में नीति तय होनी है। इसमें विविध क्षेत्र से वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक, अधिवक्ता, पत्रकार, समाजसेवी आदि भी रहने वाले हैं। यह आज के समय में चीन के लिए सबक देने वाली एक निर्णायक बैठक होगी।
प्रेस वार्ता में प्रमुख रूप से श्रीकांत मणि त्रिपाठी, अध्यक्ष गोरक्ष प्रांत, शैलेन्द्र शुक्ला उपाध्यक्ष गोरक्ष प्रांत, शशि मौलि पाण्डेय अध्यक्ष, गोरखपुर, उमा शंकर पाण्डेय जिलाध्यक्ष संत कबीर नगर, देव सरण सिंह देवरिया जिलाध्यक्ष, अनीता जय सिंह और रूपाली दीदी आदि उपस्थित रहींl
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