दुर्घटना में मृत्यु पर 4 लाख की सहायता
पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) राज्य सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों, ऑनलाइन डिलीवरी सेवाओं और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म आधारित कार्यों में लगे डिलीवरी ब्वॉय और अस्थायी कामगारों के हित में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इसके तहत बिहार सरकार “बिहार प्लेटफॉर्म आधारित (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) विधेयक 2025” लेकर आई है, जिसे आगामी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा।
इस विधेयक के जरिए ऐसे श्रमिकों के लिए एक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो न सिर्फ उनके पंजीकरण और निगरानी का काम करेगा, बल्कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करने में भी प्रमुख भूमिका निभाएगा।
📌 प्रमुख प्रावधान:
दुर्घटना में मृत्यु होने पर ₹4 लाख की अनुग्रह राशि।
प्राकृतिक मृत्यु पर ₹2 लाख की सहायता।
श्रमिकों का निबंधन अनिवार्य किया जाएगा ताकि उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
डिलिवरी ब्वॉय, कैब ड्राइवर, ई-कॉमर्स स्टाफ, गिग वर्कर्स सहित विभिन्न प्लेटफॉर्म आधारित कामगार इस दायरे में आएंगे।
🎯 सरकार की मंशा:
राज्य सरकार का कहना है कि डिजिटल और ई-कॉमर्स सेक्टर के तेज़ी से बढ़ने के कारण लाखों युवा इस क्षेत्र से जुड़े हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं। ऐसे श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक बेहद जरूरी है।
🗣️ श्रम मंत्री का बयान:
श्रम संसाधन मंत्री ने कहा, “ये कामगार आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इन्हें सुरक्षा और सम्मान देना सरकार की प्राथमिकता है। इस विधेयक से उन्हें पहचान, सुरक्षा और लाभ मिलेगा।”
💬 क्या कहते हैं विशेषज्ञ:
श्रम कानून विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस कदम को ‘समय की मांग’ बताया है। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ अस्थायी कामगारों को लाभ मिलेगा, बल्कि उनकी जीवन-स्तर में भी सुधार होगा।
दीपावली 2025-वैश्विक आलोक का पर्व- अंधकार से प्रकाश, दरिद्रता से समृद्धि और मानवता से एकता…
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। पकड़ी बाजार से करीब 3 किलोमीटर पहले यदुपरसिया पेट्रोल पंप…
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। धनतेरस और दिवाली पर सोना खरीदना शुभ माना जाता…
🪔 भैया दूज की कथा और महत्त्व भी जानें “दीपों की रोशनी में जब घर…
खेल (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रविवार से तीन मैचों की…
बिजनेस ( राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सेक्टर को बीते…